हिज्बुल कमांडर के एनकाउंटर में नहीं हुई पत्थरबाजी, जनाजे में नहीं हुई हिंसा

श्रीनगर . हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर यासीन उर्फ महमूद गजनवी के एनकाउंटर और अगले दिन उसके जनाजे में दो खास बातें देखने को मिलीं। खुफिया सूत्रों ने बताया कि शोपियां जिले के जिस अवनीरा गांव में यासीन का एनकाउंटर हुआ वहां के लोगों ने ऑपरेशन के दौरान सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी नहीं की। यह हैरान करने वाली बात है क्योंकि यासीन स्थानीय लोगों को पत्थरबाजी करने के लिए उकसा रहा था ताकि फंसे आतंकियों को बच निकलने में मदद मिल सके। सूत्रों ने बताया कि यासीन लगातार फोन कर लोगों को बुलाता रहा। उसने उन्हें सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंकने को कहा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दूसरी हैरान करने वाली बात उसके जनाजे में सामने आई। यासीन और ऑपरेशन में मारे गए उसके दोनों सहयोगियों (इरफान-उल-हक और उमर मजीद) के जनाजे ले जाए जाते वक्त किसी तरह की हिंसा या विरोध देखने को नहीं मिला, जबकि वहां हजारों लोग मौजदू थे।

तमाम सुरक्षा प्रतिबंधों के बावजूद हजारों लोग यासीन के जनाजे में शामिल होने के लिए बडगाम जिले के चादोरा में इकट्ठा हुए। कई लोगों ने पाकिस्तान और कश्मीर की आजादी के समर्थन में नारे लगाए। हालांकि जब वहां अल-कायदा से जुड़े संगठन अंसार गजवत-उल हिंद का समर्थन करने वाले जाकिर मूसा के समर्थन में नारे लगे तो हिज्बुल के कार्यकर्ताओं ने लोगों को ऐसा करने से रोक दिया। काटपोरा कुलगाम में मजीद के जनाजे के जो विडियो सामने आए, उनमें भी ऐसा देखने को मिला। वहां मौजूद कुछ उग्रवादियों ने हवा में गोली चलाकर मजीद को 'सलामी' दी। इरफान के जनाजे में भी जब मूसा के समर्थन में नारे लगे तो हिज्बुल के लोगों ने ऐसा नहीं होने दिया। स्थानीय लोगों की तरफ से पत्थरबाजी केवल उस समय देखने को मिली जब यासीन का एनकाउंटर कर सीआरपीएफ के जवान ऑपरेशन वाली जगह से वापस लौट रहे थे।

सूत्रों का कहना है कि मूसा की कश्मीर की समस्या और उसे जिहाद से जोड़ने की बातों ने कश्मीरी युवाओं की सोच बदली है। राजनीतिक विश्लेषक इसका कारण मूसा के 12 मई के बयान को बताते हैं। उस ऑडियो स्टेटमेंट में मूसा ने हुर्रियत अलगाववादियों को मारने की धमकी दी थी। कश्मीर की समस्या के हल के राजनीतिक संघर्ष की जगह उसने 'इस्लामिक विद्रोह' पर जोर देते हुए हुर्रियत नेताओं के लिए कहा था, 'हम कुफ्र को छोड़कर पहले आपको लटकाएंगे…लाल चौक में गले काटेंगे।'  एक विश्लेषक ने बताया, 'दक्षिण कश्मीर और श्रीनगर के कई प्रभावित इलाकों में भी पत्थरबाजी बंद हो गई है।'

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