अंतरिक्ष में तूफानों की पुष्टि, वैज्ञानिकों ने नाम दिया स्पेस हरिकेन 

लंदन । अंतरिक्ष में स्थित गृहों को लेकर वैज्ञानिक शोधों से नया खुलासा हुआ है कि यहां तूफान भी सक्रिय हैं। पृथ्वी पर सारे मौसमी परिवर्तन उसके वायुमंडल की सबसे निचली परत क्षोभमंडल पर ही होते हैं। काफी समय से वैज्ञानिकों में चक्रवाती तूफान चक्रवाती तूफान की चर्चा हो रही थी, लेकिन हाल ही में वैज्ञानिकों ने उत्तरी ध्रुव के ऊपर उच्च वायुमंडल में इसके होने की पुष्टि की है। पहली बार देखे गए इस अंतरिक्षीय तूफान को वैज्ञानिकों ने स्पेस हरिकेन नाम दिया है। इसके बारे में उनका कहना है कि ऐसी घटना सभी ग्रह में पाई जाती है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सैटेलाइट के आंकड़ों के आधार पर चीन के शैंगडोंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह घोषणा उत्तरी ध्रुव के मीलों ऊपर 621 मील चौड़ी प्लाज्मा की घूमती आकृति का विश्लेषण करने के बाद की है। शोधकर्ताओं ने चक्रवात के आकार का ऑरोर का धब्बा देखा जिसके केंद्र में बहाव शून्य था और वृत्तीय प्लाज्मा बहुत ही तीव्र गति से बह रहा था। ये सारे गुण पृथ्वी के निचले वायुमंडल पर पाए जाने वाले हरीकेन में पाए जाते हैं। स्पेस हरिकेन पृथ्वी के सतही हरिकेन में एक बड़ा अंतर होता है। उसमें पानी की जगह इलेक्ट्रोन की बारिश होती है।  
स्पेस हरिकेन पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में पाए जाने वाले हरिकेन की तरह घड़ी की विपरीत दिशा में घूमते हैं। यह स्पेस हरिकेन टूटने से पहले आठ घंटने तक चलता रहा। हरिकेन खास तरह के चक्रवाती तूफान होते हैं। ये दुनिया के अलग अलग जगहों पर कई तरह के नामों से जाने जाते है जैसे टाइफून, चक्रवाती तूफान, उष्णकटीबंधीय तूफान, या फिर सिर्फ साइक्लोन।  यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के अंतरिक्ष वैज्ञानिक प्रोफेसर माइक लॉकवुड का कहना है कि मैग्नेटिक फील्ड और प्लाज्मा वाले ग्रहों और उपग्रहों में हरिकेन एक सार्वभौमिक प्रक्रिया के तहत मौजूद हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि अब तक यह निश्चित नहीं था कि स्पेस प्लाज्मा हरिकेन होते हैं या नहीं लेकिन यह अवलकोन अविश्वसनीय है। इससे पहले मंगल, शनि, गुरु, और शनि के निचले वायुमंडल में इस तरह के हरिकेन अवलोकित किए गए हैं। हाल में हुई यह खोज पृथ्वी के उच्च वायुमंडल में पहली बार किसी हरिकेन के पाए जाने की हुई है।  
एक प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक हरिकेन बहुत ही ताकतवर ऊर्जा और द्रव्यमान आवागमन से जुड़ा होता है इसलिए पृथ्वी के उच्च वायुमंडल में हरिकेन बहुत ही प्रचंड रहा होगा। इसके साथ ही वह कारगरता से सौर पवन को पृथ्वी के आयनमंडल में पहुंचा पा रहा होगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि स्पेस हरिकेन अंतरिक्ष से आयनमंडल और बाह्य वायुमंडल  के लिए एक तेजी से ऊर्जा स्थांतरण चैनल खोल देते हैं। यह अंतरिक्ष के मौसम के प्रभाव के रहस्यों का खुलासा कर सकता है। जिसमें सैटेलाइट ड्रैग, उच्च आवर्ति वाले रेडियो संचार में व्यवधान प्रमुखता से शामिल हैं। यह अवलोकित किया गया है कि स्पेस हरिकेन निम्न जियो मैग्नेटिक गतिविधि के दौरान बना था। यानि के जियोमैग्नेटिक तौर पर शांत स्थितियों में भी अंतरिक्ष से तीव्र मौसम के हालात बन सकते हैं जो पृथ्वी और उसके ऊपर के आसमान पर गहरा असर डाल सकते हैं। वहीं पृथ्वी के ऑरोर को देखने से पता चल सकता है कि भविष्य में इस तरह के तूफान कैसे आ सकते हैं।  
 

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