अगस्त से प्रदेश में बड़े बिजली संकट की आहट, शहरों से गांवों तक हो सकती है भारी कटौती

प्रदेश में एक अगस्त से शहरों से गांवों तक भारी बिजली कटौती शुरू हो सकती है। इसकी वजह केंद्र सरकार का एक फरमान है जिसमें बिजली कंपनियों से साफ कहा गया है कि पहले पैसा जमा करें फिर उत्पादन कंपनियों से बिजली लें। बिजली कंपनियों से कहा गया है कि उन्हें जितनी बिजली लेनी है उसके लिए उत्पादन कंपनी के पक्ष में लेटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) खुलवाकर एडवांस में पैसा जमा करें। इसके बाद ही बिजली मिलेगी। केंद्र सरकार के इस फरमान से पावर कार्पोरेशन में हड़कंप मच गया है क्योंकि बिजली कंपनियों की माली हालत ठीक नहीं है। बुधवार को फरमान जारी होने के  बाद शासन व पावर कार्पोरेशन के आला अधिकारियों ने दिल्ली पहुंचकर बिजली मंत्रालय के अफसरों से राहत की गुहार लगाई, लेकिन वहां से दो टूक कर दिया गया कि बिजली चाहिए तो पैसे का इंतजाम करना ही पड़ेगा।

बिजली मंत्रालय की ओर से बुधवार को यूपी समेत सभी राज्यों को पत्र भेजकर बिजली उत्पादन कंपनियों को भुगतान सुनिश्चित करने के लिए उनके पक्ष में एलसी खुलवाने को कहा गया है। पत्र में साफ कहा गया है कि वितरण कंपनियों को जितनी बिजली खरीदनी है उसका एडवांस भुगतान एलसी खुलवाकर करना होगा। वैसे तो 30 दिन पहले एलसी खुलवाने के निर्देश दिए गए हैं लेकिन वितरण कंपनियों की मौजूदा वित्तीय स्थिति को देखते हुए 15 दिन, एक सप्ताह या एक दिन पहले भी एलसी खुलवाने की सुविधा दी गई है। अहम बात यह है कि बिजली वितरण कंपनियों के सामने उत्पादन कंपनियों के बकाये को नजरंदाज कर एनर्जी एक्सचेंज से बिजली खरीदने का विकल्प भी नहीं बचेगा। अगर एलसी नहीं खुलवाई जाती है तो एनर्जी एक्सचेंज से भी बिजली नहीं खरीदी जा सकेगा।

5000-6000 मेगावाट बिजली की हो जाएगी कमी

पावर कार्पोरेशन के सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार के इस आदेश से प्रदेश में बिजली संकट खड़ा होना तय है। बिजली कंपनियों की वित्तीय स्थिति को देखते हुए प्रदेश में बिजली की उपलब्धता 5000-6000 मेगावाट कम हो जाएगी। ऐसे में शहरों से लेकर गांवों तक आपात कटौती करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।

बिजली कंपनियों का 21000 करोड़ बकाया
प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियों पर उत्पादन कंपनियों का 21 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया है। दरअसल, प्रदेश में जितनी बिजली आपूर्ति की जा रही है उस अनुपात में राजस्व वसूली नहीं हो पा रही है। इसकी वजह से उत्पादन कंपनियों को नियमित रूप से भुगतान नहीं हो पा रहा है। बिजली वितरण कंपनियां हर महीने उत्पादन कंपनियों से 4500 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिजली खरीद रही हैं जबकि उन्हें भुगतान 3500-3600 करोड़ रुपये ही हो पा रहा है। हर महीने 900-1000 करोड़ रुपये बकाया बढ़ता जा रहा है।

केंद्र ने बिजली खरीदने के लिए उत्पादन कंपनियों को एडवांस भुगतान करने का निर्देश जारी किया है। यह एक अगस्त से लागू होना है। हमने आज दिल्ली में केंद्रीय बिजली मंत्रालय के  अधिकारियों से मिलकर अपनी समस्या बताई है लेकिन यह निर्देश सभी राज्यों के लिए हुआ है। फिलहाल केंद्र से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है। अभी जो स्थितियां बन रही हैं उसमें बिजली की कमी होना तय है। बिजली कटौती करनी पड़ सकती है। – आलोक कुमार, प्रमुख सचिव ऊर्जा व अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन

Leave a Reply