अनुविभागीय दंडाधिकारी ने फर्जी प्रमाण पत्र के मामले पर निगम आयुक्त को लिखा पत्र

बिलासपुर । न्यायधानी के तहसील कार्यालय पर सक्रिय दलालों के द्वारा न्यायिक कार्यपालिका दंडाधिकारी के सील मोहर से बनाए गए जाली फर्जी प्रमाण पत्र के मामले पर जांच पूरी हो चुकी है। बहुत जल्द बड़ी कार्यवाही होने की संभावना बताया जा रहा है। मामले पर बहुत जल्द अपराध पंजीबद्ध होने की चर्चा भी तहसील कार्यालय पर होने लगी है।
नेहरू चौक पर स्थित एसडीएम कार्यालय जिसमे तहसील ऑफिस भी सम्मिलित है। जिसमें दलाल विस्तृत रूप से अपने आपको अंगद के पांव कि तरह विस्थापित कर चुके हैं। दलालों की पकड़ बहुत ही खौफनाक स्तर तक पहुंच चुकी है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आम जनता अपना काम कराने के लिए तहसील कार्यालय पर सक्रिय दलालों के चंगुल में फंस जा रहे हैं। और मोटा रकम देकर भी अपना काम नियंता नहीं करा पाते हैं। हद तो तब हो जाती है जब दलाल पूरे पैसे लेकर भी अपना काम इमानदारी से न कर भोले भाली जनता को फर्जी प्रमाण पत्र थमा देते हैं। जिसमें बकायदा न्यायिक कार्यपालिका दंडाधिकारी बिलासपुर का सील साइन लगा होता है। इस तरह के काम कराने के मामले में दलालों को महारत हासिल है। लेकिन एक पुरानी कहावत है कि पाप का घड़ा आज नहीं तो कल भर ही जाता है। ठीक उसी तरह दलालों कि फर्जीवाड़ा के बारे में संबंधित अधिकारी को खबर चल गई। क्योंकि इस बार जिस मामले ने तूल पकड़ा है। वह साधारण नहीं बल्कि फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होना है। यह मृत्यु प्रमाण पत्र एक, दो दर्जन नही है बल्कि इसकी संख्या सैकड़ों पर हैं। आप इस बात से ही अनुमान लगा सकते पिछले 6 महीनों में ही न्यायिक कार्यपालिका दंडाधिकारी बिलासपुर के सील मोहर से लगभग 185 फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हुए हैं। जिनका पूरा प्रकरण तहसील कार्यालय बिलासपुर में उपलब्ध नहीं है।
गौरतलब है कि फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र के मामले पर शिकायतकर्ता ने बिलासपुर अनुविभागीय दंडाधिकारी के समक्ष लिखित में शिकायत दर्ज कराया था। जिस पर 20 प्रमाण पत्रों की जांच के लिए मान किया गया था। जिसमें न्यायिक कार्यपालिका दंडाधिकारी के सील मोहर से जारी 20 जाली व फर्जी प्रमाण पत्र मामले की गंभीरता को देखते हुए अनुविभागीय दंडाधिकारी पुलक भट्टाचार्य ने जांच का जिम्मा तहसीलदार रमेश मौर्य को दिया। मामले पर तत्परता दिखाते हुए महज 2 दिनों में ही तहसीलदार ने जांच पूर्ण कर रिपोर्ट अनुविभागीय दंडाधिकारी को सौंप दिया। जिसके बाद एसडीएम ने निगम आयुक्त को पत्र लिखकर मामले पर एफ. आई .आर दर्ज कराने एवं फर्जी प्रमाण पत्र को निरस्त करने के लिए आग्रह किया है।

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