अमेरिका और रूस ने ‘दोस्ती’ का निभाया फर्ज, चीन ने भारत की राह में फिर लगाया अड़ंगा
बीजिंग: एनएसजी में भारत के प्रवेश का विरोध कर रहे चीन ने बुधवार को कहा कि एनपीटी लागू करने में दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों ने परमाणु निरस्रीकरण संबंधी मुद्दों पर चर्चा के लिए यहां दो दिवसीय बैठक शुरू की है. चीन 48 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश का यह कहकर विरोध कर रहा है कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं किया है, जबकि अमेरिका और रूस सहित पी5 के अन्य सदस्यों ने परमाणु अप्रसार को लेकर भारत के रिकार्ड को देखते हुए समर्थन किया है.
यूएनएससी को पी-5 देश के रूप में भी पुकारा जाता है
चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका यूएनएससी का स्थायी सदस्य है. यूएनएससी को पी-5 देश के रूप में भी पुकारा जाता है. परमाणु निरस्रीकरण, परमाणु अप्रसार और नाभिकीय ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल संबंधी मुद्दों पर चर्चा के लिए बैठक हो रही है. बैठक को लेकर एक सवाल पर जवाब देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने मीडिया से कहा कि एनपीटी अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार, परमाणु निरस्रीकरण और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था का आधार बिंदु है.
एनएसजी में भारत के प्रवेश को लेकर चीन का विरोध
उन्होंने कहा इन तीनों पहलुओं में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है और चीन संधि के तीनों महत्वपूर्ण लक्ष्यों को निभाने के प्रति कटिबद्ध है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बहुलवाद पर टिके रहना चाहिए और अप्रसार, निरस्रीकरण तथा नाभिकीय ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के तीनों आधार की प्रगति को बढ़ावा देना चाहिए.’’
एनएसजी में भारत के प्रवेश को लेकर चीन के विरोध का सीधा हवाला दिए बिना उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि हमें व्यापक विचार करना चाहिए और संधि लागू करने में दोहरे मापदंड का विरोध करते हुए व्यवहारिक रास्ते पर गौर करना चाहिए.