अमेरिका पर परमाणु हमला करने का रिस्क लेगा किम जोंग उन!

नई दिल्‍ली । अमेरिकी खुफिया एजेंसी सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) ने आशंका जताई है कि किम जोंग उन कोरियाई प्रायद्वीप को अपने अधीन करने के लिए न्यूक्लियर अटैक कर सकता है। सीआईए के निदेशक ने यह भी चिंता जाहिर की है कि उत्तर कोरिया कुछ महीनों में अमेरिका पर भी परमाणु हमला कर सकता है। सीआईए की तरफ से यह आशंका उस वक्‍त जताई गई है जब उत्तर और दक्षिण कोरिया में शांति को लेकर बातचीत चल रही है। इसके अलावा उत्तर कोरिया ने विंटर गेम्‍स के लिए अपनी टीम तक भेजी है। लिहाजा यह कहना गलत नहीं होगा कि वर्षों के बाद दोनों देशों के बीच कोरियाई प्रायद्वीप में शांति की कोशिश तेज होती दिखाई दे रही हैं। ऐसे में सीआईए निदेशक की यह आशंका जरूर चिंता पैदा करने वाली लगती है।


घातक साबित होगा ये कदम


हालांकि जानकार ऐसा नहीं मानते हैं। ऑब्‍जरवर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष्‍ वी पंत का साफतौर पर कहना है कि यह कदम उत्तर कोरिया के लिए ही बेहद घातक साबित होगा। उनके मुताबिक इस क्षेत्र में कोई भी चूक बड़े परमाणु युद्ध को निमंत्रण दे सकती है। लिहाजा इस तरह की गलती किम की तरफ से करने के काफी कम चांस हैं। वह भी तब जब उत्तर और दक्षिण कोरिया में बातचीत की प्रकिया चल रही है। इसके बाद भी वह सीआईए के प्रमुख के बयान को चिंताजनक जरूर मानते हैं।

हवाई में गलती से जान पर बन आई


आपको याद होगा कि इसी माह हवाई में गलती से बजे मिसाइल अटैक के सायरन ने सभी को चौंका कर रख दिया था। उस वक्‍त सभी का ध्‍यान पहली बार में उत्तर कोरिया की तरफ ही गया था। बहरहाल, यह एक चूक का नतीजा था, लेकिन यह भी सच है यदि यह सच होता तो उत्तर कोरिया से छोड़ी गई मिसाइल को हवाई तक पहुंचने में महज बीस मिनट का समय लगता और वहां के लोगों को अपने बचाव के लिए केवल 15 मिनट ही मिलते। इस लिहाज से भी सीआईए की आशंका मन में डर पैदा करने के लिए काफी है।


उत्तर कोरिया का मिसाइल परीक्षण


यहां पर एक चीज को और ध्‍यान में रखना जरूरी है और वह है उत्तर कोरिया का ताजा मिसाइल परीक्षण। पिछले वर्ष नवंबर में उत्तर कोरिया ने अपनी सबसे ताकतवर मिसाइल ह्वासांग-15 का सफल परीक्षण किया था। यह मिसाइल अमेरिका के किसी भी क्षेत्र में हमला करने में सक्षम है। इस परीक्षण के बाद जहां उत्तर कोरिया ने खुद को एक परमाणु हथियार संपन्‍न देश घोषित किया वहीं अमेरिका को आंख भी दिखाई थी। यहां पर ये भी ध्‍यान में रखने वाली बात है कि किम की तरफ से बीते वर्ष अमेरिकी क्षेत्र गुआम पर हमला करने की भी बात कही गई थी। गुआम और हवाई दोनों ही अमेरिका के लिए रणनीतिक तौर पर काफी अहम हैं।


अमेरिका की चिंता


अमेरिका की चिंता सिर्फ मिसाइल परीक्षण या उत्तर कोरिया द्वारा खुद को परमाणु संपन्‍न देश करार देने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इससे कहीं आगे है। दरअसल, अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने इस बात के लिए भी आगाह किया है कि उत्तर कोरिया अपने यहां पर न्‍यूक्लियर रिएक्‍टर लगाने की तैयारी कर रहा है। अमेरिका के लिए दूसरी बड़ी परेशानी का सबब ये भी है कि संयुक्‍त राष्‍ट्र के प्रतिबंधों के बाद भी वह उत्तर कोरिया को काबू नहीं कर पा रहा है। पिछले दिनों जो रिपोर्ट सामने आई है वह भी अमेरिका की चिंता को बढ़ा देती है। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि प्रतिबंधों को धता बताते हुए उत्तर कोरिया रूस को अपना कोयला बेचकर विेदेशी मुद्रा अर्जित कर रहा है। यह कोयला रूस के रास्‍ते जापान और दक्षिण कोरिया तक पहुंचाया जा रहा है। वहीं इसके इतर अमेरिकी खुफिया विभाग की एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि चीन की तरफ से भी तेल उत्तर कोरिया को भेजा जा रहा है। खुफिया सैटेलाइट्स के जरिए तेल ले जाने वाले जहाजों की तस्‍वीर तक ली गई थी।


आत्‍मरक्षा के अलावा कर सकता है हमला


सीआईए के निदेशक पॉम्पेओ ने यहां तक कहा है कि किम जोंग उन परमाणु हथियारों का इस्तेमाल आत्मरक्षा के अलावा भी कर सकता है। उनके मुताबिक किम दोनों कोरियाई देशों को अपने अधीन करने के इरादे से परमाणु और सैन्य बलों का उपयोग कर सकता है। पॉम्पेओ ने वर्जीनिया के सीआईए मुख्यालय में बोलते हुए कहा कि हम उन लोगों के बारे में चिंतित हैं जो कुछ महीनों में अमेरिका पर परमाणु अटैक करने की क्षमता की धमकी दे चुका है। उन्होने स्वीकार किया कि उत्तरी कोरिया के खिलाफ बल का प्रयोग इस क्षेत्र में जीवन के विनाशकारी नुकसान की ओर ले सकता है।


उत्तर कोरिया ने कब-कब किए परीक्षण


1976-81: सोवियत यूनियन की स्कड-बी मिसाइल और मिस्र के लॉन्च पैड के इस्तेमाल से उत्तर कोरिया ने अपना मिसाइल कार्यक्रम विकसित करना शुरू किया।


1984: उत्तर कोरिया ने अपनी पहली स्कड-बी मिसाइल दागी।


1985: उत्तर कोरिया ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर किए।


1990: उत्तर कोरिया ने अपनी पहली रोडॉन्ग मिसाइल का परीक्षण किया।


1998: उत्तर कोरिया ने ताइपेडॉन्ग-1 मिसाइल का परीक्षण किया।


जुलाई 2006: उत्तर कोरिया ने लंबी दूरी की सात से दस ताइपेडॉन्ग-2 मिसाइलों का परीक्षण किया किया, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव पारित करके उत्तर कोरिया से अपने परमाणु कार्यक्रम रोकने की मांग की।


अक्टूबर 2006: उत्तर कोरिया ने दावा किया कि उसने सफलतापूर्वक अपने पहले परमाणु हथियार का परीक्षण कर लिया है, जिसकी क्षमता 1-2 किलोटन टीएनटी की बताई गई। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उत्तर कोरिया पर कई पाबंदियां लगा दीं।


2009: उत्तर कोरिया ने उन्हा-2 रॉकेट छोड़ने का दावा किया।


मई 2009: उत्तर कोरिया ने दूसरे परमाणु परीक्षण का ऐलान किया, जिसकी क्षमता 5-12 किलोटन टीएनटी की बताई गई।


जून 2009: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तरफ़ से नई पाबंदियां लगाई गईं।


अप्रैल 2012: उत्तर कोरिया ने लंबी दूरी के उन्हा-3 रॉकेट के प्रक्षेपण की नाकाम कोशिश की. प्रक्षेपण के साथ ही उसके टुकड़े-टुकड़े हो गए और वह समुद्र में जा गिरा।


फरवरी 2013: उत्तर कोरिया ने तीसरा परमाणु परीक्षण किया, जिसके बाद उस पर फिर से नई पाबंदियां लगाई गईं।


जनवरी 2016: उत्तर कोरिया ने हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया।


15 अप्रैल 2016: अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने दावा किया कि उत्तर कोरिया के संस्थापक किम इल-सुंग के जन्मदिन पर मध्यम दूरी की मुसुदन-टाइप मिसाइल का परीक्षण किया लेकिन वह नाकाम रहा।

25 अप्रैल 2016: उत्तर कोरिया ने मीडियम रेंज की दो मुसुदन मिसाइलें दागीं, लेकिन दक्षिण कोरियाई अधिकारियों के मुताबिक यह परीक्षण भी नाकाम रहा।


मई 2016: दक्षिण कोरिया के जॉइंट चीफ़ ऑफ़ स्टाफ ने दावा किया कि उत्तर कोरिया की मध्यम दूरी की मिसाइल का एक और परीक्षण नाकाम हो गया है।


सितंबर 2016: उत्तर कोरिया ने एक परमाणु हथियार के परीक्षण का ऐलान किया। दक्षिण कोरिया ने कहा कि इस धमाके की विस्फोटक क्षमता 10 किलोटन की थी।


अक्टूबर 2016: उत्तर कोरिया ने लॉन्च होते ही धमाका करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया।


12 फरवरी 2017: उत्तर कोरिया ने एक बैलिस्टिक मिसाइल दागी जो जापान के सागर में जाकर गिरी।


6 मार्च 2017: उत्तर कोरिया ने कम से कम चार बैलिस्टिक मिसाइलें जापान की दिशा में छोड़ीं। इनमें से तीन उसी की जल सीमा में और एक बाहर गिरी बताई गई।


18 मार्च 2017: उत्तर कोरिया ने एक नए हाई-थ्रस्ट रॉकेट इंजन का परीक्षण किया।


5 अप्रैल 2017: दक्षिण कोरियाई सेना ने कहा कि उत्तर कोरिया ने एक बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया जो जापान के सागर में गिरी।


14 मई 2017: दक्षिण कोरियाई और अमरीकी सेनाओं के मुताबिक, उत्तर कोरिया ने राजधानी प्योंगयांग से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित जगह से एक बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया।


21 मई 2017: उत्तर कोरिया ने मध्यम दूरी की एक बैलिस्टिक मिसाइल का पुकचांग में परीक्षण किया।

29 मई 2017: दक्षिण कोरियाई सेना के मुताबिक, उत्तर कोरिया ने अपने पूर्वी किनारे से छोटी दूरी की एक बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया। 


8 जून 2017: दक्षिण कोरियाई सेना के मुताबिक, उत्तर कोरिया ने अपने पूर्वी किनारे से कई एंटी-शिप क्रूज़ मिसाइलें दागीं। 200 किलोमीटर के बाद यह मिसाइल पानी में गिर गई।


4 जुलाई 2017: जापान से जापानी सागर और दक्षिण कोरिया जिसे पूर्वी सागर कहता है, वहां के लिए उत्तर कोरिया ने बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च की। इस मिसाइल ने 930 किलोमीटर की दूरी तय की। इसी दिन, उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया ने ऐलान किया कि देश ने ह्वासॉन्ग-14 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है।


28 जुलाई 2017: उत्तर कोरिया ने रात में ह्वासोंग-14 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया। यह मिसाइल अब तक देश की किसी भी मिसाइल से ऊंची और दूर तक गई और फिर दक्षिण कोरिया के पूर्वी सागर में जाकर गिर गई।


25 अगस्त, 2017: उत्तर कोरिया ने कम दूरी तक मार करने वाली तीन बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण की घोषणा की। दक्षिण कोरिया और अमरीका के अधिकारियों के मुताबिक़ ये परीक्षण ईस्ट सी में किए गए थे। ये मिसाइल उत्तर कोरिया के गांगवान प्रांत के किसी स्थान से दागे गए थे। अमरीकी सेना के अनुसार इनमें से एक मिसाइल लॉन्च के फौरन बाद 250 किलोमीटर जाकर विस्फोट कर गई।


29 अगस्त, 2017: उत्तर कोरिया ने जापान के ऊपर से एक मिसाइल दागी। दक्षिण कोरिया की सेना ने बताया कि ये मिसाइल उत्तर प्रशांत महासागर में जापान के होक्काइडो द्वीप के ऊपर से गुजरी। ये मिसाइल प्योंगयांग के पास से किसी जगह पर पूर्वी दिशा में दागे गए थे। यह मिसाइल 2700 किलोमीटर की ऊंचाई तक गई और उसने 550 किलोमीटर की दूरी तय की। विशेषज्ञों का कहना है कि ये मिसाइल ह्वासोंग-12 थी।


3 सितंबर, 2017: उत्तर कोरिया ने कहा कि उसने सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण किया है। यह उत्तर कोरिया का छठा परमाणु परीक्षण है।


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