आईएस के हाथ में है सबसे खौफनाक हथियार का ट्रिगर, इसके आगे परमाणु बम भी बौना

नई दिल्ली। इराक की रेतीली जमीन, मोसुल में लड़ाई अंतिम ठिकानों तक ठहरी हुई है। पूरी दुनिया के लोगों की नज़र उसी घड़ी पर टिकी है, जिस पर इस वक्त बग़दादी और उसके जेहादियों का हाथ है। वो है मोसुल का डैम, जिसे इराक में सद्दाम डैम के नाम से भी जाना जाता है। ये दजला नदी पर 1980-81 में बनकर तैयार हुआ था। इसकी सैकड़ों फुट उंची इमारत इराक की रेतीली जमीन को थामे हुए है। यही वो दीवार भी है जो इस पूरे इलाके में मौत के आगे आकर खड़ी है और इसी डैम की इस दीवार को इराक के साथ साथ पूरी दुनिया की ताकतें भी हर हाल में बचाए रखना चाहती हैं, क्योंकि उसके रास्ते से हटने का मतलब इन तस्वीरों में छुपी तबाही को शिद्दत से महसूस किया जा सकता है।

इसके पानी का सैलाब सुनामी से भी ज्यादा तबाही फैलाने का माद्दा रखता है। न्यूक्लियर बम से भी ज्यादा लोगों की जिंदगी पल भर में खत्म करने की ताकत है। भागती लहरों के आगे ऊंची से ऊंची इमारत ताश के पत्तों की तरह बिखर जाएंगी। विज्ञान की सबसे बड़े आविष्कार की मिसाइल भी कहर बरपाने से नहीं रोक सकती।

उसे पता है कि मोसुल के इस डैम को तबाह करके वो एक तीर से करोड़ों शिकार कर सकता है। करीब चार साल पहले आईएस ने मोसुल के साथ इस डैम पर मौत का पहरा बैठा दिया था। डैम की ताकत और तबाही की कुव्वत को अमेरिका और इराक बखूबी जानते थे। लिहाजा इराक ने पूरी ताकत झोंक दी। खुद अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने आसमान से मौत बरसाकर आईएस को खदेड़ दिया। पीछे बचा तो सुलगी गाड़ियों से भरी सड़क और मारे गए आतंकियों की लाशें।

ये डैम सबसे आसान और सबसे खौफनाक हथियार है। इस डैम में 11.1 क्यूबिक किलोमीटर पानी है। गणित के इस अंक से बेशक इसकी ताकत का अंदाजा न मिल सके, लेकिन ये डैम तबाह हो जाए तो धरती के नक्शे में इराक की आधी जमीन गायब हो जाएगी। अगर इस दीवार के पार के पानी ने अपनी सरहद तोड़ी तो दजला नदी के किनारों पर बसा हर इंसानी जिंदगी खत्म हो जाएगी। यहां इतना पानी कैद है कि अगर लंदन की टेम्स नदीं सूख जाए तो उसे छह सौ बार भरा जा सकता है। अगर ये पानी यहां से निकलकर बाहर चला जाए तो उसकी लहरों की ऊंचाई 45 फुट से भी ज्यादा हो सकती है। यानी सूनामी की खौफनाक लहरें भी उसके सामने बौंनी हो जाएंगी। अगर इस पानी की हदों को बारूद से बर्बाद किया गया तो दुनिया शायद हिरोसिमा और नागासाकी की बर्बादी भूल जाए।

साफ है कि इस सबके लिए बगदादी को चाहिए सिर्फ एक सफल हमला। बात ये भी है कि ये डैम जिस जमीन पर बसा है वो ऊंची दीवारों को थामे रखने की बहुत ज्यादा ताकत नहीं रखता है। लेकिन, इटली की एक कंपनी ने इसे सालों की मेहनत के बाद बनाया था। बिना खतरे के भी इसमें और सुधार की जरूरत है। बगदादी का बादशाहत के दौरान शहर की खुशियों के साथ साथ डैम के सुधार के कामों पर भी ताला लगा रहा। कहीं भी दाखिल होने की ताकत रखने वाले पानी ने उन चार सालों में पहले ही अंदर इसे खोखला कर दिया होगा। अब इराक के पास एक साथ डबल चैलेंज है। एक इसके रख रखाव को युद्ध स्तर पर शुरू करना। दूसरा बगदादी की चाल को नाकाम करने की लिए पूरी तरह तैयार रहना। क्योंकि वो जानते हैं कि ये डैम नहीं इराक की जिंदगी की डोर है।

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