आतंकवादियों के रिश्तेदारों को नहीं मिलेगी कश्मीर में पुलिस की नौकरी

श्रीनगर
जम्मू और कश्मीर में पुलिस में नौकरी के लिए आवेदन करने वालों की कड़ी जांच की जाएगी और ऐसे लोगों को नौकरी नहीं मिलेगी जिनके निकट या दूर के परिवार का सदस्य राज्य में आतंकी गतिविधियों में शामिल है। राज्य के नए इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस मुनीर खान ने बताया कि कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के कारण उन्हें कड़े कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

कुछ पुलिसकर्मियों के नौकरी से भागकर आतंकवादियों का साथ देने की घटनाओं के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है। खान ने हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को बताया, 'हम देख रहे हैं कि इस तरह के रिश्तेदार प्रभाव डालते हैं। हमें वेरिफिकेशन के दौरान कुछ सख्ती बरतनी होगी और नौकरी के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति और परिवार के सदस्यों की पृष्ठभूमि के अलावा दोस्तों की भी जांच करनी होगी।'

उन्होंने कहा कि पुलिस की नौकरी को छोड़ने वाले इस तरह के अधिकतर लोगों का या तो कोई रिश्तेदार आतंकवादी है या उनका आतंकवादियों के साथ मेल-जोल है। पिछले 6 वर्षों में कम से कम 9 पुलिसकर्मियों ने नौकरी से भागकर आतंकवादी संगठनों का दामन थामा है और ये अपने साथ 15 से अधिक हथियार भी ले गए हैं। पिछले सप्ताह नाजनीनपुरा शोपियां का कॉन्स्टेबल नवीद मुश्ताक 4 राइफलों और गोला-बारूद के साथ फरार हो गया था। उसके आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन से जुड़ने की रिपोर्ट है। उसका चचेरा भाई एक सक्रिय आतंकवादी है।

2016 में 2 पुलिसकर्मी शोपियां का शकूर अहमद और बडगाम जिले का रियाज अहमद पुलिस की नौकरी से हथियारों के साथ भाग गए थे। इसी तरह 2015 में राज्य के तत्कालीन मंत्री अल्ताफ बुखारी के सिक्यॉरिटी गार्ड के तौर पर तैनात कॉन्स्टेबल नसीर पंडित 2 एके 47 राइफलों के साथ भागकर आतंकवादी संगठन के साथ जुड़ गया था। हालांकि, वह बाद में एक मुठभेड़ में मारा गया था।

कश्मीर में किसी समय ऐसे किसी व्यक्ति को पासपोर्ट नहीं दिया जाता था और न ही पुलिस में भर्ती किया जाता था, जिसके पिता या भाई आतंकवाद में शामिल हों। हालांकि, बाद में स्थिति में सुधार होने पर इसमें छूट दे गई थी। इसके बाद पुलिस ऐसे लोगों को भर्ती करती थी जिनके रिश्तेदार आतंकवादी गतिविधियों में शामिल थे क्योंकि पुलिस का मानना था कि उन्हें अपने रिश्तेदारों के गलत कामों का खामियाजा नहीं भुगतना चाहिए।

खान ने कहा, 'रिक्रूटमेंट में कुछ छूट थी। वे सरकार की ओर से लोगों की भलाई के लिए किए गए उपाय थे, लेकिन जब इन उपायों का गलत इस्तेमाल शुरू हो जाता है तो उन्हें रोकना पड़ता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक अच्छा वेतन पाने वाला अनुशासित बल का सदस्य नौकरी से भाग जाता है। बल को इस तरह धोखा देना गलत है।'

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