आरबीआई ने लगातार दूसरी बार की रेपो रेट में कमी

नई दिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नए वित्त वर्ष की पहली क्रेडिट पॉलिसी गुरुवार को जारी करते हुए नीतिगत दरों में एक चौथाई प्रतिशत की कमी की है, जिससे आवास, वाहन एवं व्यक्तिगत ऋण के सस्ते होने की संभावना है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने तीन दिवसीय बैठक के बाद गुरुवार को यहां चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति जारी की गयी जिसमें उसने कहा कि महंगाई विशेषकर खुदरा महंगाई लक्षित दायरे में है, लेकिन घरेलू स्तर पर आर्थिक गतिविधियों में शिथिलता के मद्देनजर निजी निवेश बढ़ाने के उद्देश्य से ब्याज दरों में कमी करने का निर्णय बहुमत के आधार पर लिया गया है। समिति के चार सदस्यों ने नीतिगत दरों में कटौती का समर्थन किया है जबकि दो सदस्य दरों को यथावत बनाये रखने के पक्षधर थे। 
समिति के निर्णय के बाद अब रेपो दर 6.25 प्रतिशत से घटकर 6.00 प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर 6.00 प्रतिशत कम होकर 5.75 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसेलिटी दर (एमएसएफआर) 6.50 प्रतिशत से घटकर 6.25 प्रतिशत तथा बैंक दर 6.50 प्रतिशत कम होकर 6.25 प्रतिशत हो गयी है। हालांकि नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को चार प्रतिशत पर और वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को 19.25 प्रतिशत पर यथावत रखा गया है। इसके साथ ही समिति ने नीतिगत दर के रुख निरपेक्ष बनाये रखने का भी निर्णय लिया है। नीतिगत दरों में कटौती तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। रेपो रेट घटने से बैंक अब कम ब्याज दर पर होम लोन, कार लोन सहित अन्य लोन ऑफर कर पाएंगे। इससे नया लोन सस्ता हो जाएगा, जबकि लोन ले चुके लोगों को या तो ईएमआई में या रीपेमेंट पीरियड में कटौती का फायदा मिल सकता है।
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को ऋण देते हैं। रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे। जैसे कि होम लोन, व्हीकल लोन और अन्य तरह के लोन। कम रेपो रेट होने पर बैंक कम ब्याज दर पर लोन ऑफर कर पाएंगे। इससे नया लोन सस्ता हो जाएगा जबकि लोन ले चुके लोगों को या तो ईएमआई में या रीपेमेंट पीरियड में कटौती का फायदा मिल सकता है। 

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