इंडिया टॉय फेयर में PM:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के जरिए देश के पहले ‘इंडिया टॉय फेयर 2021’ का उद्घाटन किया।

उन्होंने कहा कि परिवारों में प्ले टाइम की जगह स्क्रीन टाइम ने ले ली है। खिलौनों का वैज्ञानिक पहलू समझना चाहिए। स्कूल में इस पर प्रयोग करना चाहिए। हमारी नई शिक्षा नीति में प्ले आधारित शिक्षा को शामिल किया गया है। इसमें बच्चों में पहेलियों और खेलों के माध्यम से तार्किक क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया गया है। सभी माता-पिता से अपील है कि बच्चों के साथ पढ़ाई में हिस्सा होते हैं, वैसे ही खेलों में शामिल होइए।

ऐसे खिलौने हों, जो बच्चे की क्रिएटिविटी को जगा दें

उन्होंने कहा कि बच्चों को बर्तन वाले खिलौने दीजिए, तो वह ऐसे करेगा जैसे आज रसोई की पूरी जिम्मेदारी उसी की है। उसे स्टेथोस्कोप दे दीजिए, वह डॉक्टर बन जाएगा और तबीयत देखने लगेगा। रॉकेट का खिलौना मिलते ही स्पेस मिशन पर निकल जाता है। उन्हें एक खिलौना चाहिए, जो उनकी क्रिएटिविटी को जगा दे।

टॉय इंडस्ट्री आत्मनिर्भर भारत का बड़ा हिस्सा

उन्होंने कहा, 'आपसे बात करके लगा कि देश की टॉय इंडस्ट्री में कितनी ताकत है। इसे बढ़ाना आत्मनिर्भर भारत का बहुत बड़ा हिस्सा है। हम आज देश के पहले टॉय फेयर का हिस्सा बन रहे हैं। यह केवल एक व्यापारिक या आर्थिक कार्यक्रम भर नहीं है। यह देश की सदियों पुरानी खेल और उल्लास की संस्कृति को मजबूत करने की कड़ी है। इसकी प्रदर्शनी में कारीगरों और स्कूलों से लेकर कंपनियों तक 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 1000 से ज्यादा एक्जीबिटर्स हिस्सा ले रहे हैं।'

खिलौनों और भारत का रिश्ता पुराना

उन्होंने कहा कि टॉय फेयर 2021 में आपके पास भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के ईको सिस्टम के बारे में जानने का अवसर होगा। खिलौनों और भारत का रचनात्मक संबंध बहुत पुराना है। पुराने समय में यात्री भारत आते थे, तो खिलौने लेकर जाते थे। हमारे धर्मग्रंथो में बाल राम के लिए कितने ही खिलौनों का वर्णन मिलता है। गोकुल में कृष्ण कंदुक से खेलने जाते थे। मंदिरों में खिलौनों को उकेरा गया है।

हमारे पास दुनिया को देने के लिए यूनीक पर्सपेक्टिव

उन्होंने कहा कि आज हर क्षेत्र में भारतीय विचारों की बात हो रही है। भारत के पास दुनिया को देने के लिए यूनीक पर्सपेक्टिव भी है। हमारी परंपराओं और खानपान में विविधाताएं ताकत के रूप में नजर आती हैं। इसी तरह खिलौना कारोबार भी भारत के विचारों को प्रोत्साहित कर सकती है। हमारे यहां खिलौने पीढ़ियों की विरासत के तौर पर सहेजे जाते हैं। त्योहारों पर लोग अपने संग्रह दिखाते थे। हमारे खिलौने इससे सजे होंगे, तो भारतीयता की भावना बच्चों के अंदर विकसित होगी। इस दौरान मोदी ने गुरुदेव टेगौर की कविता का भी जिक्र किया।

भारतीय खिलौनों में ज्ञान और विज्ञान का तालमेल

उन्होंने कहा कि भारतीय खिलौनों की खूबी रही है कि उनमें ज्ञान और विज्ञान होता है। मनोरंजन होता है और मनोविज्ञान होता है। लट्‌टू को देखिए। वह बच्चों को ग्रेविटी और बैलेंस का पाठ पढ़ा देता है। गुलेल से खेलता बच्चा पोटेंशियल से काइनेटिक एनर्जी के बारे में सीख लेता है। नवजात बच्चे भी झुनझुने और बाजे घुमाकर सर्कुलर मूवमेंट को महसूस करने लगते हैं। आगे जाकर उन्हें पढ़ाया जाता है तो उसे रिलेट कर लेते हैं। किताबी ज्ञान से यह समझ विकसित नहीं हो सकती।

7 दशकों से विरासत की उपेक्षा

हम खिलौनों के जरिए भारत की कहानियों को दुनिया तक पहुंचा सकते हैं। 100 बिलियन डॉलर के बाजार में हमारी हिस्सेदारी बहुत कम है। देश में 85% खिलौने विदेशों से मंगाए जाते हैं। 7 दशकों में विरासत की जो उपेक्षा हुई, उसका परिणाम है कि विदेशी खिलौने बढ़ गए हैं। ये सिर्फ खिलौने ही नहीं हैं, बल्कि पूरा विचार प्रवाह है, जो हमारे घरों तक पहुंच रहा है। बाहरी बाढ़ ने हमारे लोकल चेन को तोड़कर रख दिया है। कारीगर अगली पीढ़ी को हुनर देने से बचने लगे हैं। इसे बदलने के लिए मिलकर काम करना है। खेल और खिलौनों के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनाना है। हमें आज की जरूरतें समझना होगा। दुनिया के बाजार को जानना होगा।

देश खिलौनों में आत्मनिर्भर बने

उन्होंने कहा कि पहले खिलौनों के बारे में सरकारें बात भी नहीं करती थीं। अब इस उद्योग को 24 प्रमुख क्षेत्रों में शामिल किया है। नेशनल टॉय एक्शन प्लान तैयार किया गया है। इसमें 15 विभागों को शामिल किया है। देश खिलौनों में आत्मनिर्भर बने। भारत के खिलौने दुनिया में जाएं। इनमें राज्यों को भागीदार बनाकर टॉय क्लस्टर विकसित किया जा रहा है। टॉय टूरिज्म की संभावना को मजबूत कर रहा है।

हैंडमेड इन इंडिया की डिमांड बढ़ी

उन्होंने कहा कि दशकों की उपेक्षा के बाजवूद हमारा हुनर आज भी असाधारण संभावनाओं से भरा है। अतीत में जिस उल्लास से जीवन में रंग घोले थे, वह ऊर्जा आज भी जीवंत है। हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम इस ऊर्जा को आधुनिक आकार दें। उन्होंने कहा कि मेड इन इंडिया की डिमांड है, तो हैंड मेड इन इंडिया की डिमांड भी बढ़ रही है। खिलौने प्रोडक्ट से ही नहीं उसके अनुभव से भी जुड़ना चाहते हैं। हिंदुस्तानी खिलौनों का डंका दुनिया में बजाने के लिए हम सभी को प्रयास करना है।

खिलौना निर्माताओं को एक ही मंच पर ला सकें

यह मेला 2 मार्च 2021 तक चलेगा। इसका मकसद खिलौना कारोबार से जुड़े खरीददारों, विक्रेताओं, विद्यार्थियों, शिक्षकों और डिजाइनरों को एक मंच पर लाना है। इस प्‍लेटफॉर्म के जरिए सरकार और उद्योग इस बात पर मंथन करेंगे कि खिलौना निर्माण और आउटसोर्सिंग का अगला ग्लोबल हब बनाया जाए।

भारतीय बाजार में 90% चीनी खिलौने

करीब एक साल पहले खराब गुणवत्ता वाले खिलौनों से भारत के खिलौना बाजार पर असर पड़ रहा था। दुनिया के खिलौना बाजार में भारत की हिस्सेदारी 1% से कम है। वहीं, चीन 65-70% पर काबिज है। देश के खिलौना बाजार में चीन की हिस्सेदारी 90% से ज्यादा है। statista.com के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में खिलौना बाजार 6.64 लाख करोड़ रुपए का है।

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