इसरो की अभियानों में होगा कृत्रिम बुद्धिमता का प्रयोग

नई दिल्ली । अपने भावी कार्यक्रमों में अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का उपयोग करेगा। हालांकि इससे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के कुछ नौकरियां कम हो जाएगी, परंतु इससे इसरो ना केवल अंतरिक्ष अभियानों को बेहतर तरीके से अंजाम देगा, बल्कि आंकड़ों का सटीक और तेज विश्लेषण करते हुए अंतरिक्ष के रहस्य को भी जान सकेगा। वर्तमान में उपग्रहों के द्वारा प्राप्त किए जाने वाले बड़े पैमाने के आंकड़ों का विश्लेषण वैज्ञानिकों से कराया जाता है। परंतु इस प्रक्रिया में काफी लंबा समय लगता है। ऐसे में कृत्रिम बुद्धिमता के जरिए मशीनों एवं सॉफ्टवेयर से कम समय में ज्यादा निपुणता से यह कार्य किया जा सकेगा। इसरो के अनुसार इसका सबसे बड़ा फायदा रिमोट सेंसिंग उपकरणों से मिलने वाले आंकड़ों का विश्लेषण करने में होगा। कृत्रिम बुद्धिमत्ता से इसका विश्लेषण कर रियल- टाइम इस्तेमाल संभव होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए प्राकृतिक आपदाओं की सूचनाएं, फसलों के निगरानी, संसाधनों की सूचना आदि बेहतर तरीके से किया जा सकेगा।
इसके अलावा इसरो उपग्रहों के निर्माण एवं परीक्षण में भी रोबोट का उपयोग शुरू करेगा। बता दें कि चंद्रयान 2 में जो रोवर को सतह पर उतारा जा रहा है, उसमें भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डाली गई है, जिससे वह सतह के नमूने लेकर मौके पर उसका परीक्षण का रिपोर्ट भेज सकें। इतना ही नहीं रोवर में खराबी आने पर इसमें खुद मरम्मत करने की भी क्षमता होगी। गौरतलब है कि इसरो पहले ही घोषणा कर चुका है कि गगनयान की मानव रहित दो फ्लाइटों में भी रोबोट भेजे जाएंगे।

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