उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग में कई घर मिट्टी के नीचे दबे, ऊंचे इलाकों में पहुंचकर लोगों ने जान बचाई

देहरादून उत्तराखंड में एक बार फिर बादल फटने की घटना सामने आई है। उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के कुमराड़ा गांव में सोमवार को बादल फट गया। इसके बाद यहां बनी कैनाल में पानी ओवरफ्लो होकर घरों में घुस गया। पानी के साथ मिट्टी घरों में घुस गई और कई फीट तक दीवारें उसमें दब गईं। कई गोशाला भी इस हादसे में बह गई हैं। इसके अलावा रुद्रप्रयाग जिले के नरकोटा में भी बादल फटने की घटना हुई है। यहां पहाड़ों की मिट्टी का एक बड़ा हिस्सा पानी के साथ बहकर लोगों के घर में घुस गया। ग्रामीणों ने किसी तरह ऊंचे स्थानों पर चढ़कर अपनी जान बचाई।

पानी और मलबे का बहाव करीब एक घंटे तक चला। इससे लोगों के घरों के कई सामान खराब हो गए। उत्तरकाशी के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेन्द्र पटवाल ने बताया कि बादल फटने के कारण ग्रामीणों के खेत और घरों में पानी चला गया है।

इसके अलावा टिहरी के कई इलाकों में भी अतिवृष्टि हुई है। यहां एसडीआरएफ और स्थानीय पुलिस राहत-बचाव के काम में लगे हैं। उत्तराखंड में पिछले 4 दिनों से मौसम खराब बना हुआ है। पहाड़ी इलाकों में लगातार बारिश और बर्फबारी हो रही है। एक दिन पहले सोमवार की शाम चमोली जिले में ओलाबारी हुई थी।

CM ने प्रभावितों को सहायता राशि देने का निर्देश जारी किया

दो जिलों में बादल फटने की जानकारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग के अधिकारियों से फोन पर बात की। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि हादसे में प्रभावित लोगों को तुरंत सहायता राशि दी जाएगी। इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं

ग्लेशियर टूटने से हुई थी 10 से ज्यादा की मौत

इससे पहले भारत-चीन बॉर्डर से लगी चमोली जनपद के जोशीमठ में 23 अप्रैल को ग्लेशियर टूटकर मलारी-सुमना सड़क पर आ गया था। बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) के कमांडर कर्नल मनीष कपिल ने बताया था कि सड़क निर्माण का काम चलने के दौरान हादसा हुआ था। इस हादसे में 10 से ज्यादा मजदूरों की मौत हुई थी। ग्लेशियर टूटने का कारण भारी बर्फबारी को माना गया था। हादसे की वजह से जोशीमठ-मलारी हाईवे भी बर्फ से ढक गया था।

फरवरी में आ चुका है जल प्रलय

इससे पहले उत्तराखंड में 7 फरवरी 2021 की सुबह साढ़े 10 बजे चमोली जिले के तपोवन में ग्लेशियर टूटकर ऋषिगंगा नदी में गिरा था। हादसे के बाद 50 से ज्यादा लोगों की लाश मिली थी, जबकि 150 से ऊपर लोग ऐसे थे, जिनका हादसे के बाद कोई पता नहीं चल पाया। प्रशासन ने कुछ दिन तक चली खोजबीन के बाद इन्हें भी मृत मान लिया था। नदी में ग्लेशियर गिरने से धौलीगंगा पर बन रहा एक बांध बह गया था। तपोवन में एक प्राइवेट पावर कंपनी के ऋषिगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट और सरकारी कंपनी NTPC के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा था। आपदा में सबसे ज्यादा नुकसान यहीं हुआ था।

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