एक नजर देश के बड़े डिफाल्डरों पर

नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने डूब चुके कर्ज की समस्या से निपटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक को अधिक अधिकार देने से जुड़े बैंकिंग अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही बैंकिंग रेगुलेशन कानून में बदलाव को भी मंजूरी मिल गई है। सरकार शुक्रवार को नए एन पी ए अध्यादेश का ब्यौरा जारी कर सकती है।

 अध्यादेश में दिया गया रिजर्व बैंक को ये अधिकार
बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के सेक्शन 35 में दो नए प्रावधान जोड़े गए हैं। एक प्रावधान के तहत आर.बी.आई. को ये अधिकार दिया गया है कि वो बैंकों के डिफॉल्टर के खिलाफ इन्सॉल्वेन्सी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत कार्रवाई करे। दूसरे प्रावधान के तहत आर.बी.आई. को अधिकार दिया गया है कि वो तय समय सीमा में एन.पी.ए. से निपटने के लिए बैंकों को जरूरी निर्देश जारी कर सके।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संशोधन के लिए दी थी मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को गैर निष्पादित आस्तिया (एन.पी.ए.) की समस्या से निपटने के लिए बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी करने को मंजूरी दी थी। वित्त सचिव अशोक लवासा का कहना है कि बैंकिंग कानून में प्रस्तावित बदलावों से फंसे कर्ज यानी एन.पी.ए. की समस्या से प्रभावी समाधान में दीर्घकालिक मदद मिलेगी।
 देश की सबसे बड़ी डिफाल्टरों में जूम डेवरपर्स का नाम पहले स्थान पर है। वहीं इस लिस्ट में किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या इस सूची में चौथे स्थान पर हैं।
ये कंपनिया हैं देश की दस सबसे बड़ी डिफाल्डर्स 

कंपनी                                                  कर्ज (करोड़ रुपयों में)
जूम डेवलपर्स                                          2499
विन्सडम डायमंड एंड ज्वेलरी                       2266
फोरइवर प्रीसियस ज्वैलरी एंड डायमंड            1395
डेक्कन क्रोकिकल होल्डिंग                          1394
किंगफिशर एयरलाइंस                               1201
सूर्य विनायक इंडि                                    1102
बेटा नापतोल                                           958
इंडियन टेकनोमिक को.                              724
रजा टेक्सटाइल                                        694
एस कुमार नेशनलवाइड                              681 

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