एक राष्ट्रपति चुनाव ऐसा भी जहां PM ने नहीं दिया था उम्मीदवार का साथ

नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव मेें आम तौर पर सत्तारुढ़ दल का उम्मीदवार ही विजयी रहता है लेकिन एक ऐसा चुनाव भी था जिसमें प्रधानमंत्री ने ही अपनी पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन नहीं किया और उसे हार का सामना करना पड़ा था। यह रोचक चुनाव वर्ष 1969 में हुआ था जिसमें निर्दलीय उम्मीदवार वराह गिरि वेंकट गिरि सत्तारुढ़ कांग्रेस के उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी को मात देकर देश के राष्ट्रपति बने थे। अब तक का यह एक मात्र चुनाव है जिसमेें पहले दौर की मतगणना में कोई भी उम्मीदवार जीत के लिए जरुरी मत हासिल नहीं कर सका था।

इंदिरा गांधी को करना पड़ा था विरोध का सामना 
यह वह दौर था जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अपनी ही पार्टी के दिग्गज नेताओं के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा था तथा वह अपने को एक मजबूत नेता के रुप में स्थापित करने की जद्दोजहद में जुटी थी। इंदिरा विरोधी सिंडीकेट नेताओं ने इस राष्ट्रपति चुनाव को इंदिरा गांधी को नीचा दिखाने के एक मौके रुप में इस्तेमाल करने का प्रयास किया। उन्होंने वी वी गिरि को उपराष्ट्रपति से राष्ट्रपति बनाने की जगह संजीव रेड्डी को उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव किया।

कांग्रेस संसदीय बोर्ड में बहुमत पक्ष में नहीं होने के कारण उनकी नहीं चली और मजबूरन उन्हें पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के रुप में संजीव रेड्डी के नाम प्रस्ताव करना पड़ा। इसी बीच वी वी गिरि ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देेकर निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी। ऐसा माना गया कि वह इंदिरा गांधी के इशारे पर ही चुनाव मैदान में उतरे हैं।

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