एसएमएस से तलाक मंजूर, लड़का पक्ष लड़की को देगा 11 लाख रुपये

मोबाईल पर एसएमएस भेजकर तलाक दिए जाने का मामला एक पंचायत में सुलझ गया है. इसमें मौजूद रहे हसन नामक व्‍यक्‍ति के मुताबिक  ‘मुफ्ती ने दोनों पक्षों की बात सुनकर अपना फैसला सुनाया कि तलाक हो चुका है’.

नूंह (मेवात) जिले के गांव अटेरना की रहने वाली विवाहिता को उसके पलवल जिले के गांव मलाई निवासी पति साकिर ने मोबाईल पर एसएमएस भेजकर तलाक दे दिया था. इसके बाद बहस छिड़ गई थी कि ससुर के फोन पर एसएमएस भेजने से क्‍या तलाक हो जाएगा? बुधवार को गांव जलालपुर में करीब चार घंटे तक चली पंचायत ने लड़का पक्ष को 11 लाख रुपये नगद, 20 ग्राम सोना व करीब एक किलो चांदी अदा करने का फरमान सुनाया. इसकी अध्यक्षता जलालपुर के पूर्व सरंपच जब्बार ने की.

इसे लड़का पक्ष ने कबूल करते हुए मौके पर ही दो लाख रुपये का चेक पंचायत को सौंप दिया. बाकी के 9 लाख रुपयों में से चार लाख 15 दिन और पांच लाख एक महीने में अदा करने होंगे. पंचायत के इस फैसले के बाद पति-पत्‍नी हमेशा के लिए अलग हो गए. साकिर का निकाह करीब दो साल पहले हुआ था. इस दौरान दंपत्‍ति के एक बेटी भी पैदा हुई .

किसी बात को लेकर पति-पत्नी के बीच मामूली विवाद हो गया, जिसके बाद पत्नी अपने मायके के गांव अटेरना आ गई. वह अपने मायके में अपनी एक वर्षीय बेटी साथ रह रही थी. अचानक लडकी के पिता के मोबाइल पर एक एसएमएस आया, जिसमें साकिर ने अपनी पत्नी को तीन तलाक लिखकर भेज दिया और कहा अब मेरा और तेरी बेटी का कोई रिश्ता नहीं रहा है.

मैसेज आने के बाद लडकी के मायके वाले स्वयं तथा प्रमुख पंचों को लेकर सोमवार को मलाई गांव गए. मलाई में पंचायत ने फैसला लिया कि पहले तलाक के बारे में इस्लाम के जानकारों से जानकारी ली जाए कि एसएमएस से तलाक हुआ या नहीं? इसके बाद दोनों पक्षों के प्रमुख लोग मांडीखेडा स्थित इस्लामी मदरसा के संचालक एवं इस्लाम धर्म के जानकार मुफ्ती रफीक से मिले थे. मालूम हो कि मलाई गांव के ही एक और व्‍यक्‍ति ने अपनी पत्‍नी को मोबाइल से फोन कर तलाक दे दिया था.

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