कन्हैया ने नहीं लगाए थे ‘देशविरोधी’ नारे, दिल्ली पुलिस ने तैयार की चार्जशीट

नई दिल्ली। राजद्रोह के आरोपों से घिरे जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को बड़ी राहत मिली है। पिछले साल जेएनयू में राष्ट्रविरोधी नारेबाजी पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने चार्जशीट तैयार कर ली है। मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली पुलिस कन्हैया कुमार के खिलाफ लगाए गए राजद्रोह के आरोप को साबित करने में नाकाम रही है। चार्जशीट के मुताबिक एक राष्ट्रीय चैनल पर दिखाया गया नारेबाजी का वीडियो फर्जी नहीं था। सीएफएसएल की रिपोर्ट में इस बात की तस्दीक हुई है। इस धुंधले वीडियो में कुछ छात्र नारे लगा रहे हैं और सुरक्षा गार्ड विरोधी गुट को टकराव से रोक रहे हैं। हालांकि मामले में जारी हुए एक और वीडियो में कन्हैया कुमार को देशविरोधी नारेबाजी करते हुए दिखाया गया था लेकिन ये वीडियो फर्जी निकला था लिहाजा इसे जांच में शामिल नहीं किया गया।

यह चार्जशीट सेक्शन 121ए (देशद्रोह) और आपराधिक साजिश की धाराओं के तहत तैयार की गई है। इसे पुलिस कमिश्नर के समक्ष सब्मिट किया गया है और मंजूरी का इंतजार है। इस चार्जशीट में जेएनयू के स्टूडेंट उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को आरोपित किया गया है। पुलिस का कहना है कि संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु के प्रति हमदर्दी दिखाने के मकसद से खालिद के पास भारत विरोधी पोस्टर थे। चार्जशीट में 40 विडियो क्लिप्स की फरेंसिक रिपोर्ट का भी जिक्र है, जिनके जरिए यह साबित करने की कोशिश की गई है कि जेएनयू के इवेंट में भारत विरोधी नारे लगाए गए थे। भले ही छात्र नेता ने नारे न लगाए हो लेकिन कन्हैया ने विवादित कार्यक्रम को होने से नहीं रोका। दिल्ली पुलिस उनके खिलाफ केस चलाने का फैसला अदालत पर छोड़ सकती है।

ये था पूरा मामला?

जेएनयू में पिछले साल 9 फरवरी को अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की बरसी पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कार्यक्रम के दौरान देशविरोधी नारेबाजी का वीडियो मीडिया में आने के बाद देशभर में राष्ट्रवाद पर बहस छिड़ गई थी। दिल्ली पुलिस ने कन्हैया कुमार के अलावा अनिर्बान और उमर खालिद पर भी देशद्रोह की धाराएं लगाई थीं, फिलहाल ये तीनों जमानत पर रिहा हैं।

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