कश्मीर में पुराने आतंकी कर रहे हुर्रियत को फंड दिलाने में मदद

श्रीनगर। कश्मीर में हुर्रियत नेताओं को आंतकियों से फंडिंग के जांच एनआईए ने शुरू कर दी है। इस बीच खबर है कि हाल की घटनाएं इस बात की तरफ इशारा करती हैं कि पर्दे के पीछे से घाटी में 90 के दशक में सक्रिय रहे आंतकी नई भूमिका के साथ वापसी कर रहे हैं।

अंग्रेजी अखबार ईकोनॉमिक्स टाइम्स के अनुसार इस सब की शुरुआत 2011 में हो गई थी जब सैयद अली शाह गिलानी के कानूनी सलाहकार गुलाम मोहम्मद बट को हवाला के जरिए पैसे मिले थे और इसी सिलसिले में उन्हें गिरफ्तार किया गया है।

कश्मीरी अलगाववादियों को पाकिस्तान द्वारा की जा रही फंडिंग के आरोप की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शनिवार को कुछ अलगाववादी नेताओं से पूछताछ की। इसी सिलसिले में बात करते हुए जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने रविवार को कहा कि युवाओं को घाटी में पत्थर मारने के लिए रोजाना 500 रुपये का भुगतान किया जाता है।

सिंह ने कहा कि पाकिस्तान सीधे युद्ध में भारत से चार बार हार चुका है, इसलिए वो हवाला के पैसे और नकली नोटों जैसे साधनों में निवेश कर रहा हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर के प्रतिनिधि होने का दावा करने वाले नेता वास्तव में धोखेबाज हैं, जो कश्मीरी लोगों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

हालांकि, उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार स्थिति पर पूरी नजर बनाए हुए है। कानून के अनुसार आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

बता दें कि एनआईए ने शनिवार को कश्मीरी अलगाववादी नेता अहमद दार, नयीम खान और गाजी जावेद बाबा से पूछताछ की उन पर आरोप है कि वो कश्मीर में अशांति पैदा करने के लिए पाकिस्तान से पैसे लेते हैं।

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