केरल में क्यों मची तबाही, क्या बांध खोलने में देरी हुई या मॉनसूनी हवा बनी वजह?

नई दिल्ली,  केरल में प्रकृति ने सदी की सबसे बड़ी तबाही मचाई है. जल प्रलय ने 370 जिंदगियां लील ली हैं. सात लाख से अधिक लोग बेघर हो गए हैं. प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक बाढ़ से 20 हजार करोड़ का नुकसान हो गया है. बारिश में इतना ज्यादा नुकसान होने से सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसे हालात क्यों बने. हालांकि अभी इसका कारण तलाशने में तो वक्त लगेगा, क्योंकि फिलहाल सारा जोर राहत और बचाव कार्यों पर है. लेकिन सवाल तो उठने शुरू हो ही गए हैं. ज्यादा बारिश तो हुई लेकिन बारिश अकेली जिम्मेदार नहीं है.

मॉनसूनी हवा आगे बढ़ने की बजाए केरल में रुकी रही

केरल में इस मॉनसून सीजन में 42% ज्यादा बारिश हुई. 3 जिलों को छोड़कर बाकी के 11 जिलों में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई. इडुक्की में सबसे ज्यादा बारिश हुई जो कि सामान्य से 92% ज्यादा दर्ज की गई. पलक्कड में 72% तो कोट्टायम में 51% ज्यादा बारिश हुई. इस बार बंगाल और आसपास कम दबाव का क्षेत्र बना. मानसूनी हवा आगे बढ़ने की बजाय केरल में रुकी रही.

बांधों को खोलने में देरी की गई

जानकारों के मुताबिक बांधों के संचालन में भी गड़बड़ी हुई. बांधों से धीरे-धीरे पानी छोड़ने की बजाय इंतजार किया गया. जब जलाशय लबालब हो गए, तब बांधों के गेट खोले गए, जिनसे निकली पानी की तेज धारा सैकड़ों जिंदगियों को रौंदते हुए गुजरी. प्रदेश के 80 बांध जब लबालब हो गए तब गेट खोले गए. बांधों से बड़ी मात्रा में अचानक पानी छोड़ने से हालात और बिगड़ गए. लेकिन केरल सरकार ये मानने को तैयार होगी या इन आरोपों की कोई जांच भी करवाई जाएगी, ये मुमकिन नहीं लगता. वजह जो भी हो, उसका खामियाजा केरल के लाखों लोग भुगत रहे हैं.

अब तक सात लाख से अधिक लोग बेघर

इधर रविवार को केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि राज्य में आई विनाशकारी बाढ़ से बेघर हुए कुल 724,649 लोग 5,645 शिविरों में पनाह लिए हुए हैं. उन्होंने कहा कि अब तक की सबसे भयावह बाढ़ों में से एक में अब तक 370 लोगों की मौत हो चुकी है और राज्य में भारी तबाही हुई है. विजयन ने बाढ़ के सबसे भयावह दौर की समाप्ति के संकेतों के बीच मीडिया को बताया कि हमारी पहली चिंता जिंदगियां बचाने की है. उन्होंने कहा कि कई शहरों व कस्बों में आखिरकार पानी का स्तर कम होना शुरू हो गया है.

22 हजार लोगों की जिंगगियां बचाईं गईं

मुख्यमंत्री ने कहा यह त्रासदी अब तक की शायद सबसे विनाशकारी त्रासदियों में से एक है. इसमें अब तक भारी नुकसान हुआ है. इसलिए हम सभी मदद स्वीकार करेंगे. उन्होंने कहा कि नौसेना और वायुसेना समेत विभिन्न एजेंसियों की मदद के साथ अन्य इमारतों व जलमग्न घरों से कुल 22,034 लोगों को बचाया गया है.

50 हजार मीट्रिक टन अनाज भेजा गया

इधर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधक समिति (NCMC) ने केंद्रीय मंत्रालयों को बाढ़ग्रस्त केरल में आवश्यक सामान और दवाएं मुहैया कराने तथा अहम सेवाएं बहाल करने पर ध्यान केंद्रित करने के निर्देश दिए.  मंत्रिमंडल सचिव पी के सिन्हा की अगुवाई में एनसीएमसी ने अपनी समीक्षा बैठक में निर्देश दिए कि केरल में बाढ़ का पानी कम होने के कारण अब भोजन, जल, दवाओं की आपात आपूर्ति तथा बिजली, ईंधन, दूरसंचार तथा परिवहन जैसी आवश्यक सेवाओं को बहाल करने पर ध्यान होना चाहिए. एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए 50 हजार मीट्रिक टन अनाज (चावल और गेंहू) उपलब्ध कराया है.

60 टन दवाएं प्लेन से भेजी गईं

उपभोक्ता मामलों के विभाग ने ट्रेन से भेजी गई दाल की अतिरिक्त मात्रा के साथ कल तक 100 मीट्रिक टन दालें विमान से भेजने का बंदोबस्त किया है. खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने 3 लाख खाद्य पैकेटों की आपूर्ति की है. पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने केरल को 9,300 किलोलीटर केरोसिन मुहैया कराया है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय सोमवार को 60 टन आपात दवाएं विमान से भेज रहा है.  उसने छह विशेषज्ञ चिकित्सा दल भी तैयार किए हैं.

ट्रेन से 14 लाख लीटर पानी भेजा गया

रेलवे राज्य सरकार की जरूरतों को तत्काल पूरा करने के लिए कंबल और चादर उपलब्ध कराएगा. एयर इंडिया ने बिना किसी कीमत के आपात सामग्री पहुंचाने की पेशकश दी है. रेलवे कल से केरल में फंसे लोगों के लिए तिरुवनंतपुरम और एर्नाकुलम से कोलकाता के लिए दो विशेष ट्रेनें चला रहा है. रेल सेवाएं सभी लाइनों पर कल शाम तक बहाल होने की उम्मीद है. कल तक 14 लाख लीटर पानी के साथ एक विशेष ट्रेन और 8 लाख लीटर पानी के साथ नौसेना का एक जहाज केरल पहुंचा जाएगा.

इसके अलावा देशभर से लोग अपनी ओर से हरसंभव मदद कर रहे हैं. विभिन्न राज्यों ने भी केरल के लिए अपना सरकारी खजाना खोल दिया है. सरकारी कर्मचारियों से लेकर तमाम संस्थाएं भी मदद के लिए आगे आई हैं.


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