कोरोना, अकेलेपन और डर से कम होती इम्युनिटी

जीवन के लिए घातक कदम उठाने का सोचने वालों का तनाव दूर करने में कर रहे हैं ‘सहयोग’

इंदौर । कोराना कर्फ्यू के चलते घरों में सैफ लोगों में से कई एक इस अदृश्य शत्रु के भय का शिकार भी हो रहे हैं।कोरोना के भय, न्यूज चैनलों में चौबीसों घंटे कोरोना वाले समाचारों की बाढ़ कई लोगों के दिलो दिमाग पर विपरीत असर भी डाल रही है।यह तो अच्छा है कि देअविवि के स्कूल ऑफ सोशल साइंस( एसओएसएस) विभाग के क्लिनिकल सायकोलॉजी सेंटर की ‘सहयोग’ टीम ने ऐसे लोगों की काउंसलिंग कर उन्हें दिमागी तौर पर मजबूत बनाने की दिशा में काम शुरु कर रखा है। समय रहते इस सेंटर और पूर्व छात्रों (एलुमिनाई) के संगठन ‘गुरुदक्षिणा’ के समन्वित प्रयासों की सफलता ही है कि कोरोना के भय से ग्रसित लोगों में से किसी ने जीवन के लिए घातक कदम उठाने का निर्णय नहीं लिया।एसओएसएस डिपार्टमेंट हेड रेखा आचार्य की पहल पर क्लिनिकल सायकोलॉजी सेंटर की तीन फेकल्टी डॉ लवीना सिंह, आयुषी मिश्रा और ज्योति खोचे घोड़के ने विभाग के 40 स्टूडेंट्स वाले ‘सहयोग’ ग्रुप के माध्यम से इस दिशा में काम शुरु कर दिया था।इसका प्रचार व्हाट्स एप और फेसबुक से किए जाने के साथ ही हेल्प लाइन नंबर 98270-35170 भी जारी किया गया था।फैकल्टी ज्योति खोचे घोड़के बताती हैं हमारी टीम हर दिन शाम 4 से 7 तक बैठती है। कॉल करने वालों में प्रोफेशनल्स की परेशानी यह सामने आई कि वे समय का उपयोग सोशल वर्क में करना चाहते हैं लेकिन समझ नहीं आता क्या करें। हाउस वाइफ की परेशानी है कि घर के कामकाज के बाद बचने वाले समय में क्या करें।पति-पत्नी या अकेले रह रहे वरिष्ठ नागरिकों का तनाव यह है कि घर में कैद रहने के दौरान टीवी भी कब तक देखें, फिर सब जगह कोरोना के ही समाचार चलते रहते हैं। युवा वर्ग का फ्रस्टेशन यह सामने आया कि सोशल साइट्स से भी उकता गए, क्या नया करें। इन सभी लोगों को पहले छात्रों ने विस्तार से सुना, फिर समरी बना कर तीनों फेकल्टी को दी।विभागाध्यक्ष रेखा आचार्य ने तीनों फेकल्टी को केस बांट रखे हैं।छात्रों द्वारा तैयार की गई समरी के आधार पर जब इन लोगों से चर्चा की तो निष्कर्ष यह सामने आया कि लंबे वक्त से अकेलापन, समाज के अन्य लोगों से प्रत्यक्ष संपर्क टूट जाने, पूरे वक्त घर के ही वही सारे चेहरे देखते रहने से मन में बढ़ती उदासी हताशा में तब्दील हो रही है। इसी अकेलेपन, खीज और हताशा के कारण नेगेटिविटी का बढ़ता असर कोई भी घातक कदम उठाने को मजबूर भी कर सकता है।

पॉजिटिविटी के लिए 98270-35170 पर कॉल करें
विभागाध्यक्ष रेखा आचार्य के मुताबिक शाम को तीन घंटे सहयोग टीम के सदस्य नियमित बैठते हैं।यदि किसी भी व्यक्ति को कॉउंसलिंग की जरुरत महसूस हो तो सीधे हेल्प लाइन नंबर पर कॉल करें। एक सेशन कम से कम 45 मिनट का रहता है।स्टूडेंट इत्मीनान से समस्या सुनते हैं फिर तीनों फेकल्टी में से कोई एक उसे समझाइश देते हैं। साथ ही सवाल जवाब आधारित फार्म में जानकारी एकत्र करते जाते हैं।इससे उस कॉलर की पूरी केस स्टडी तैयार हो जाती है।तीनों फेकल्टी से 30 केस स्टडी प्राप्त हुई है।कुलपति डॉ रेणु जैन को पूरी रिपोर्ट बना कर सौपेंगे। कोरोना के भय से तनाव झेल रहे लोगों के लिए हमारा विभाग प्रशासन को सहयोग करने को तत्पर है, कुलपति डॉ जैन के मार्गदर्शन मुताबिक काम करेंगे।

‘गुरुदक्षिणा के माध्यम से पूर्व छात्रों का भी सहयोग
क्लिनिकल सायकोलॉजी सेंटर की सहयोग टीम को पूर्व छात्रों की संस्था गुरुदक्षिणा भी सहयोग कर रही है।इस टीम में भी शामिल ज्योति खोचे घोड़के बताती हैं ‘गुरुदक्षिणा’ के समूह समन्वयक गोविंद शर्मा के साथ ही उषा कृष्णन, सरोज कोठारी, ज्योति शर्मा, डॉ भारती जोशी का मार्गदर्शन तो मिल ही रहा है। करीब 40 पूर्व छात्र भी काउंसलर के रूप में मदद कर रहे हैं।खुद मैंने भी फेसबुक पर ‘लॉक डाउन नॉट नॉक डाउन’ नाम से पेज बना रखा है, इसके माध्यम से भी लोगों में सकारात्मक विचारों के साथ कोरोना के खिलाफ लड़ने की ताकत पैदा कर रहे हैं।

कीर्ति राणा

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