गुजरात की BJP सरकार पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, आसाराम के खिलाफ ट्रॉयल को लटकाए न रखें

नई दिल्ली: नाबालिग से रेप का मामले में सु्प्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से कहा है कि आसाराम के खिलाफ ट्रायल को लटकाए ना रखें. इस मामले में प्रैक्टिकली संभव हो सके, गवाहों के बयान दर्ज कराएं जाएं क्योंकि आसाराम लंबे वक्त से जेल में हैं. गुजरात सरकार की ओर से कहा गया कि इस मामले में गवाहों को लेकर तेजी से कार्रवाई चल रही है. 29 गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं और 46 के बयान दर्ज होना बाकी है. इस बीच दो गवाहों की हत्या कर दी गई और कई जख्मी हुए हैं. वहीं आसाराम की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट सरकार को आदेश दे कि गवाहों के बयान दर्ज कराने की प्रक्रिया में तेजी लाए जाए. कोर्ट मामले की सुनवाई जुलाई में करेगा.

दरअसल-आसाराम ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत की अर्जी लगाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अर्जी को ठुकराते हुए कहा था कि जब तक केस के गवाहों के बयान ट्रायल कोर्ट में दर्ज नहीं हो जाते, वह मामले की सुनवाई नहीं करेगा. आसाराम 2013 से जेल में बंद हैं.

'आसाराम केस में गवाहों को सुरक्षा दें'

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों को आसाराम के केस में चार गवाहों को सुरक्षा देने के आदेश दिए हैं. मामले की अगली सुनवाई अब चार हफ्ते बाद होगी. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को जानकारी दी कि हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकारों की तरफ से मामले में अभी कोई जवाब दाखिल नहीं हुआ है, ऐसे में उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई जाए, क्योंकि उनको जान का खतरा बना हुआ है.

दरअसल, गवाहों के हत्या और धमकाने के आरोप के मामले में सीबीआई या एसआईटी जांच की मांग करने वाली याचिका पर कोर्ट ने केंद्र सरकार एवं हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. याचिका में कहा गया था कि 10 मुख्य गवाहों में से तीन की हत्या हो चुकी है और शेष सात पर जानलेवा हमले हो चुके हैं.

याचिका में यह मांग भी की गई कि आसाराम और उन्हें बेटे नारायण साईं द्वारा तंत्र पूजा को लेकर भी सीबीआई जांच करवाई जाए. याचिका में आरोप लगाया गया है कि वे दोनों तंत्र पूजा किसी छोटे बच्चे के लाश के सामने करते हैं.

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