गुरु करेंगे राशि परिवर्तन, धर्म व राजनीति पर बढ़ेगा न्यायालय का दबाव
भोपाल। आकाश मंडल में ग्रहों का राशि परिवर्तन होता रहता है। ज्योतिष के अनुसार कुछ ग्रह दो ही दिन में राशि परिवर्तन कर लेते हैं। वहीं कुछ 15 दिन, एक महीना, एक साल व ढाई साल में राशि परिवर्तन करते हैं। आगामी 28 सितंबर को धर्म का कारक ग्रह देव गुरु ब्रहस्पति राशि परिवर्तन करेगा। इससे धार्मिक उन्माद बढ़ेगा, साथ ही धर्म व राजनीतिक क्षेत्र में न्यायालय का दबाव बढ़ेगा।
ज्योतिषमठ संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं. विनोद गौतम के मुताबिक 28 सितंबर को प्रातः 7ः04 बजे देवगुरु ब्रहस्पति तुला राशि छोड़कर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। क्योंकि, वृश्चिक राशि राजनीति की राशि मानी जाती है, इसलिए इस राशि में गुरु का आना राजनीतिक व धार्मिक उन्माद को बढ़ावा देना हैं। वहीं गुरु की राशि धनु पर वक्री शनि वर्तमान समय पर विचरण कर रहे हैं। इसलिए धार्मिक व राजनीतिक क्षेत्रों में न्यायालय का दबाव बढ़ेगा।
पं. गौतम ने बताया कि आकाशमंडल में वर्तमान समय पर राहु-केतु के बीच सभी ग्रह चल रहे हैं। जिससे पृथ्वी पर कालसर्प दोष की छाया निर्मित हो रही है। यह छाया अक्टूबर के पूरे महीने प्रभावी रहेगी। जिसके कारण पृथ्वी के किसी भी कोने में जन्म लेने वाले शिशु की कुंडली में कालसर्प दोष बनेगा।
पं. गौतम ने बताया कि देवगुरु बृहस्पति के राशि परिवर्तन से आगामी डेढ़ साल तक धार्मिक उन्माद के साथ उग्रवाद व अराजकता बढ़ने की आशंका है। वहीं, धर्मगुरुओं के लिए भी यह समय शुभ नहीं रहेगा। किसी धार्मिक आयोजन के दौरान भगदड़ के योग ग्रहस्थिति के अनुसार बन रहे हैं। गौरतलब है कि पूर्व में एक माह के अंदर तीन ग्रहणों का पड़ना देश के बढ़े नेताओं के लिए अशुभकारी सिद्ध हुआ।
ऐसे में शास्त्रों के अनुसार सूर्य व चंद्र नक्षत्र के पुरुष रूप में होने का योग आगामी दिनों में बारिश के योग बना रहा है। यह नक्षत्र 11 अक्टूबर तक प्रभावी रहेगा। जिसमें देश-प्रदेश के विभिन्ना प्रांतों में तेज बारिश के योग हैं। हालांकि मौसम वैज्ञानियों ने ज्योतिष के उलट मानसून के विदाई की घोषणा कर दी है। इसी तरह 6 अक्टूबर को वक्री शुक्र के अस्त होने से बारिश के योग बनेंगे। इसके अलावा 17 एवं 18 अक्टूबर को रामनवमी के दिन सूर्य की तुला संक्रांति भी हल्की बारिश के योग बना रही है।