ग्रह-नक्षत्र बदल रहे हैं चाल, 25 मार्च से लेकर 29 मार्च तक रहें सावधान!

सनातन धर्मी लोग किसी भी शुभ काम का आरंभ करने से पूर्व मुहूर्त पर अवश्य विचार करते हैं। शुभ या अशुभ नक्षत्रों को ध्यान में रखने के बाद ही मंगल कार्यों का आरंभ किया जाता है। अमंगलिक नक्षत्रों में पंचक भी आधारित है। चन्द्रमा की अवस्था पर आधारित गणना को पंचक कहा जाता है। गोचर में चन्द्रमा जब कुंभ राशि से मीन राशि तक वास करता है, उस स्थिती को पंचक कहा जाता है। इस कालावधि में चंद्रमा पांच नक्षत्रों में से होकर निकलता है। पांच दिनों तक चलने वाले पंचक में किसी भी तरह के शुभ काम करने की मनाही होती है। 25 मार्च शनिवार कोे प्रात: करीब-करीब 4 बजे से पंचक का आरंभ होगा और विश्राम 29 मार्च, बुधवार की दोपहर निकटतम 01.07 को होगा। इस पंचक का शनिवार से प्रारंभ हो रहा है इसलिए इसे मृत्यु पंचक कहा जाएगा। 

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5 काम जो पंचक में नहीं करने चाहिए
पंचक में चारपाई बनवाने से घर-परिवार पर बड़ा दुख आता है।

 

पंचक के समय घनिष्ठा नक्षत्र चल रहा हो तो उस समय में घास, लकड़ी और जलने वाली कोई भी चीज एकत्रित करके नहीं रखनी चाहिए इससे आग लगने का डर रहता है।

 

दक्षिण दिशा पर यम का अधिकार है जब पंचक चल रही हो तो दक्षिण दिशा में यात्रा न करें। 

 

पंचक और रेवती नक्षत्र एक साथ चल रहे हो तो घर की छत न बनवाएं अन्यथा घर में धन का अभाव रहता है और पारिवारिक सदस्यों में मनमुटाव कभी समाप्त नहीं होता।

 

गरुड़ पुराण में कहा गया है जब किसी व्यक्ति की पंचक में मृत्यु होती है तो उसके साथ आटे या कुश के पांच पुतले बनाकर शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है अन्यथा घर में पांच मौत होने का भय रहता है।

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