चीनी राजदूत-राहुल गांधी की मुलाकातः सच-झूठ और सवालों से सियासत में भूचाल !

नई दिल्लीः चीन के साथ सीमा विवाद के चलते कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का चीनी राजदूत लुओ झाओहुई से मिलना सियासत में भूचाल ले आया है। उनकी मुलाकात पर इसलिए भी ज्यादा सवाल उठए जा रहे हैं, क्योंकि पहले तो टीम राहुल ने इससे इंकार किया और फिर बाद में स्वीकार कर लिया।

कांग्रेस ने दी सफाई
कांग्रेस ने इस पर सफाई देते कहा है कि यह राजनयिकों से होने वाली सामान्य मुलाकात का हिस्सा था। कांग्रेस का कहना है कि राहुल गांधी ने भारत में भूटान के राजदूत और पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन से भी मुलाकात की थी। पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में कांग्रेस उपाध्यक्ष के नाते राहुल राजनयिकों से लेकर तमाम लोगों से मिलते-जुलते हैं।

मुद्दा बनाने वालों को लिया आड़े हाथों
पार्टी ने इसे मुद्दा बनाने वालों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जर्मनी में उसी समय चीनी राष्ट्रपति के होटल जाकर उनसे मुलाकात करते हैं, तो कोई उत्तेजना नहीं फैलाई जाती। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडे़कर, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और संस्कृति मंत्री महेश शर्मा उसी समय ६ से ८ जुलाई के बीच चीन के दौरे पर होते हैं तो सवाल नहीं किया जाता। भाजपा के वरिष्ठ नेता राम माधव अपने दो शोधार्थियों का वीजा खारिज करने के बावजूद बीजिंग जाते हैं, तब भी इसे सामान्य रूप से लिया जाता है। हालांकि, इस मुलाकात में राहुल की चीनी राजदूत से क्या बात हुई, इसका ब्योरा मनीष तिवारी ने नहीं दिया। समझा जाता है कि डोकलाम सीमा पर जारी विवाद पर भी दोनों के बीच चर्चा हुई।

राहुल गांधी ने दिखाए अाक्रामक तेवर
इस मुद्दे पर उट रहे सवालों पर राहुल गांधी ने अाक्रामक तेवर दिखाते  कहा कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर जानकारी लेना मेरा काम है। अगर सरकार चीनी राजदूत से मेरी मुलाकात को लेकर इतनी ही चिंतित है, तो उसे इस बात का जवाब भी देना चाहिए कि सीमा पर विवाद के रहते तीन मंत्री क्यों चीन की यात्रा पर गए?

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