छिंदवाड़ा जिला जेल में कैदियों की सोच बदलने जागरूकता कार्यक्रम

मन बदलेगा तो सब बदलेगा

छिंदवाड़ा। हमारे अंदर की सोच ही हमें कैदी या आजाद बनाती है..यदि हम अपनी सोच को सकरात्मक बनालें तो यही जेलजीवन हमारे लिए सौगात बन सकता है। यह बात आज बुधवार को छिंदवाड़ा जिला जेल के अंदर आयोजित कैदी जागरूकता कार्यक्रम में आए समाज कर्मियों ने कही। 
छिंदवाड़ा जिला जेल में सामाजिक संस्थान श्यामा फाऊंडेशन, नई दिल्ली के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में प्रसिध्द चिंतक और विचारक मौजूद थे। इनमें भोपाल से रितेश शुक्ल, रायपुर से रवि मानव , बैतूल से सुनील व्दिवेदी व आनंद राठौर मौजूद थे। इनके साथ जिला जेल अधीक्षक यजुवेन्द्र बाघमारे भी थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए सुनील व्दिवेदी ने बताया कि जेल या कैद हमारी सोच में है। जेल में हवा-पानी-मिट्टी-सूरज-आकाश सबकुछ मिल रहा है। हम जाने-अनजाने में जो गलती कर सजा भुगत रहे हैं हमें उसको भूलकर नया जीवन शुरू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी संस्था व्दारा किताबों से लेकर जरूरत की हर वो सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी जो कैदियों को हुनरमंद बनाने के लिए आवश्यक है। रवि मानव ने कहा कि …ये वक्त भी गुजर जाएगा..इसको आधार वाक्य बनाकर जेल जीवन को जीना चाहिए। जीवन यात्रा में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं यदि हम समभाव से उसको देखेंगे तो खुश रहेंगे अन्यथा हमेशा दुखीभाव लेकर समय को व्यर्थ गंवाएंगे। कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता भोपाल के रितेश शुक्ल ने कहा कि हम सभी को अपनी चेतना को जागृत करना है। एक मनुष्य और पशु में यही अंतर है कि मनुष्य के पास चेतना है। हम इस चेतना को एक कंप्यूटर के रूप में उपयोग कर सकते हैं और इसके माध्यम से अपने अंदर एक बड़ा बदलाव कर सकते हैं। श्री शुक्ल ने कहा कि उन्हें ऐसे विद्यार्थियों की तलाश है जो पढ़ना चाहते हैं और आगे बढ़ना चाहते हैं। ऐसे लोगों को हर तरह का निशुल्क मार्गदर्शन देने को तैयार हैं। 
जेल अधीक्षक यजुवेन्द्र बाघमारे ने सभी वक्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे जेल के सभी कैदियों को परिवार की तरह मानते हैं। हर तरह से उनको आगे बढ़ने में मदद का प्रयास करते हैं। अब उम्मीद है कि इन वक्ताओं के मार्गदर्शन से कैदियों के जीवन में बदलाव आएगा।

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