जन्मदिन विशेष: जनता के राष्ट्रपति कलाम साहब की बेहतरीन बातें

जनता के राष्ट्रपति के तौर पर मशहूर परमाणु वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म साल 1931 में 15 अक्टूबर को हुआ था. पढ़िए उनकी कही वो बातें, जो किसी की भी ज़िंदगी बदल सकती हैं.

कलाम इतने ईमानदार थे कि उनके रिश्तेदार राष्ट्रपति भवन उनसे मिलने आए. जो कुल 50-60 लोग थे. उनके खाने, रहने और घूमने आदि सभी का किराया कलाम ने अपनी जेब से दिया. ये कुल खर्च था 354924 रुपए.

एक बार कलाम IIT (BHU) के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि थे. मंच पर कुल 5 कुर्सियां थीं जिनमें से 1 का आकार बाकियों से बड़ा था. लेकिन कलाम ने उस बड़ी कुर्सी पर बैठने इंकार कर दिया. जब बराबर साइज़ की कुर्सी लाई गई तभी वो उस पर बैठे.

राष्ट्रपति बनने के बाद जब कलाम पहली बार केरल गए तो वहां उनका पहला मेहमान कोई नेता या अधिकारी नहीं बल्कि मोची और छोटे से होटल का मालिक था. कलाम ने त्रिवेंद्रम में काफी समय रहे थे. इस मोची ने उनके जूते गांठे और उस होटल में उन्होंने कई बार खाना खाया था.

अपना कार्यकाल पूरा करके कलाम जब राष्ट्रपति भवन से जा रहे थे तो उनसे विदाई संदेश देने के लिए कहा गया. उनका कहना था, ‘विदाई कैसी, मैं अब भी एक अरब देशवासियों के साथ हूं.’

टेलिग्राफ इंडिया के मुताबिक डॉ. कलाम ने 1950 में जब सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली में एडमिशन लिया तभी से ही शाकाहारी बन गए थे. उन्हें स्कॉलरशिप मिली थी और अपने बजट में वह बहुत कम ही नॉन-वेज फूड का खर्च उठा पाते थे.

उन्होंने अपना कार्यकाल राष्ट्रपति भवन से शुरू किया, तब उनके पास 2 सूटकेस थे और जब कार्यकाल खत्म हुआ तब भी उनके पास 2 ही सूटकेस थे. इन सूटकेस में क्या है, इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि 'इसमें एक नई प्रकाशित बुक, कभी-कभी मेरा कंप्यूटर, मेरा टेप-रिकोर्डर और दो दिन के कपड़े हैं'.

उन्होंने अपना कार्यकाल राष्ट्रपति भवन से शुरू किया, तब उनके पास 2 सूटकेस थे और जब कार्यकाल खत्म हुआ तब भी उनके पास 2 ही सूटकेस थे. इन सूटकेस में क्या है, इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि 'इसमें एक नई प्रकाशित बुक, कभी-कभी मेरा कंप्यूटर, मेरा टेप-रिकोर्डर और दो दिन के कपड़े हैं'.

Leave a Reply