जन अभियोजकों ने बिल कॉस्बी की यौन उत्पीड़न की सजा पलटने के निर्णय की समीक्षा का कोर्ट से किया आग्रह

फिलाडेल्फिया, अमेरिका । अमेरिका के मशहूर कॉमेडियन बिल कॉस्बी की कोर्ट द्वारा यौन उत्पीड़न की सजा के फैसले को पलटने को लेकर जन अभियोजकों ने यहां की सुप्रीम कोर्ट से समीक्षा करने का आग्रह करते हुए कहा कि इस तरह के फैसले लेने से एक गलत मिसाल कायम हो सकती है। कॉस्बी के वकील कई समय से तर्क दे रहे हैं कि उन्होंने एक वादे पर भरोसा किया था कि 2006 में एक अभियुक्त के दीवानी मुकदमे में गवाही देने पर उन पर कभी कोई आरोप नहीं लगाया जाएगा। लेकिन उनकी गवाही का बाद में उनके ही खिलाफ दो सुनवाई में इस्तेमाल किया गया। कॉस्बी की गिरफ्तारी के खिलाफ पर्याप्त सबूत ना होने का दावा करने वाले तत्कालीन अभियोजक ब्रूस कैस्टर ने कहा था कि उस वादे का एकमात्र सबूत 2005 में कैस्टर द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति है। लेकिन अभियोजकों का कहना है कि प्रेस विज्ञप्ति को ‘प्रतिरक्षा समझौते’ (इम्यूनिटी एग्रीमेंट) यानी सरकार तथा गवाह के बीच अनुबंध के तौर पर देखने से एक खतरनाक मिसाल कायम हो सकती है।
अभियोजकों ने यह भी शिकायत की है कि राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने टेलीविजन साक्षात्कार में कॉस्बी की सजा को पलटने वाले अदालत के फैसले पर चर्चा के दौरान मामले के प्रमुख तथ्यों का गलत तरह से वर्णन किया था। वे सजा पाने वाले पहले कलाकार थे। 2018 में ज्यूरी ने उन्हें 2004 में कॉलेज की खेल प्रशासन अधिकारी एंड्रिया कॉन्स्टैंड को मादक पदार्थ देने और छेड़छाड़ करने का दोषी पाया था। पेन्सिलवेनिया उच्चतम न्यायालय द्वारा जून में उन्हें रिहा करने से पहले उन्होंने लगभग तीन साल जेल में बिताए थे।

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