जयंत सिन्हा ने दंगा आरोपियों को पहले पहनाई माला, फिर दी सफाई, अब जताया खेद

नई दिल्ली, झारखंड में लिंचिंग के आरोपियों को सम्मानित करने के मामले में केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने आखिरकार अपनी गलती मान ली है. उन्होंने पहले मामले में सफाई दी थी, लेकिन जब बात नहीं बनी और विवाद बढ़ा, तो अब उन्होंने खेद जताया है.


केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'मैंने कई बार कहा कि यह मामला सब-जुडिस है. इस मसले पर लंबी चर्चा करना सही नहीं होगा. सभी को न्याय मिलेगा और दोषियों को सजा मिलेगी. जो निर्दोष हैं, उनको न्याय जरूर मिलेगा. जहां तक माला पहनाने का मामला है, तो इससे गलत इम्प्रेशन गया है. इसका मुझे खेद और दुख है.'


राहुल के मोर्चा खोलने के बाद जताया खेद


कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा मोर्चा खोलने के बाद जयंत सिन्हा ने खेद जताया है. राहुल गांधी ने ट्वीट कर जयंत सिन्हा को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र का ओहदा निरस्त करने वाली ऑनलाइन पिटीशन पर समर्थन मांगा.


कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, 'अगर एक सुशिक्षित सांसद और केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा का लिंचिंग के मामले में दोषी अपराधियों को माला पहनाने और सम्मानित करने का दृश्य आपको घृणा से भर देता है, तो इस लिंक पर क्लिक कर इस पिटीशन का समर्थन करें.'


जयंत सिन्हा ने पहले अपने कदम को बताया था सही


इससे पहले उन्होंने लिंचिंग के आरोपियों को सम्मानित करने के कदम को सही ठहराया था. जयंत सिन्हा ने मेल टुडे टूरिजम समिट में इस मामले पर कहा था कि भले ही उन्होंने इन लोगों का सम्मान किया है, पर वे उनके कामों का समर्थन नहीं करते हैं. उन्होंने कहा था कि वे लोग (लिंचिंग के आरोपी) उनके घर पर आए थे, इसलिए उन्हें इन लोगों का सम्मान करना पड़ा.


इस दौरान उन्होंने यह भी कहा था, 'मैं हर तरह की हिंसा का विरोध करता हूं, लेकिन अभी यह मामला कोर्ट के अधीन है और मैं ट्विटर पर अपना पक्ष पहले ही साफ कर चुका हूं. कानून को अपना काम करने देना चाहिए. जो भी दोषी हैं, उन्हें सजा होनी चाहिए. इसके साथ ही हमें यह भी ख्याल रखना चाहिए कि सभी को न्याय मिले.'


सिन्हा ने कहा था, 'मैं सभी लोगों से अपील करता हूं कि मेरी आलोचना करने से पहले कोर्ट का बेल ऑर्डर पढ़ें. मैं अपना रुख स्पष्ट कर दूं कि मैं उनकी हरकत का समर्थन नहीं करता. मेरा रिकॉर्ड साफ है. मेरी मंशा साफ है, मैं उनकी हरकत के साथ नहीं हूं.'


पिता ने की थी आलोचना


इस मामले के तूल पकड़ने पर यशवंत सिन्हा ने अपने बेटे जयंत सिन्हा की आलोचना की थी. यशवंत सिन्हा ने ट्वीट करके कहा था कि वह अपने बेटे के कृत्य का समर्थन नहीं करते. साथ ही उन्होंने ट्विटर पर आलोचना करने वालों को भी जवाब दिया.


बीते दिनों बीफ ले जाने के शक में मारे गए युवक (अलीमुद्दीन) की हत्या के 8 दोषियों को झारखंड हाई कोर्ट ने जमानत दे दी. जमानत मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री और यशवंत सिन्हा के पुत्र जयंत सिन्हा ने शुक्रवार को इनका माला पहनाकर स्वागत किया था. साथ ही बीजेपी जिला कार्यालय में मिठाई इनकी जमानत पर बांटी गई थी. इसे लेकर यशवंत सिन्हा पर भी निशाना साधा गया तो उन्होंने ट्विटर पर इसका जवाब दिया.


यशवंत सिन्हा ने लिखा, 'कुछ दिन पहले तक मैं लायक बेटे का नालायक बाप था, लेकिन अब रोल उलट गया है. यही ट्विटर है. मैं अपने बेटे के कृत्य का समर्थन नहीं करता. लेकिन जानता हूं कि इसके बाद भी गालियां पड़ेंगीं. तुम कभी जीत ही नहीं सकते.' इससे पहले बीजेपी की आलोचना करने पर भी यशवंत सिन्हा को लगातार ट्विटर पर ट्रोल किया जाता रहा है.


बीजेपी ने किया था स्वागत


मॉब लिंचिंग के दोषियों को जमानत मिलने पर न सिर्फ जयंत सिन्हा ने उनका स्वागत किया बल्कि बीजेपी कार्यालय में इसका जश्न मनाया गया था. इन दोषियों की रिहाई के लिए लगातार आंदोलन करने वाले पूर्व विधायक शंकर चौधरी ने बीजेपी कार्यालय पर ही प्रेस कॉन्‍फ्रेंस की और जमानत मिलने पर खुशी का इजहार किया था. उन्‍होंने कहा था कि वो कोर्ट के फैसले का सम्‍मान करते हैं.


क्या है पूरा मामला


29 जून 2017 को झारखंड के रामगढ़ में भीड़ ने मीट व्यापारी अलीमुद्दीन अंसारी की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. अलीमुद्दीन अपनी वैन से मांस लेकर आ रहा था. वैन में बीफ होने के शक में कुछ लोगों ने उसे पकड़ लिया था. उन लोगों ने पहले उसकी गाड़ी को आग लगाई और फिर अलीमुद्दीन को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया. घटना के बाद इलाके में तनाव बढ़ गया था. दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आश्वासन के बाद ही अलीमुद्दीन का परिवार शव लेने को तैयार हुआ था.


इस हत्‍याकांड में 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है. वहीं, एक नाबालिग भी इसमें शामिल है, जिसे बाल सुधार गृह भेजा गया है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता बीएन त्रिपाठी द्वारा दिए गए साक्ष्य और बहस को मानते हुए कोर्ट ने हत्या के दौरान बनाए गए वीडियो फुटेज को सबूत मानने से इनकार कर दिया. इस वजह से 8 लोगों को जमानत मिल गई. 3 लोगों की जमानत के लिए अर्जी नहीं लगाई गई थी. इस वजह से उन्‍हें जमानत नहीं मिल सकी थी. 


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