रेप पर ट्वीट करना IAS टॉपर को पड़ा भारी, सरकार ने भेजा नोटिस

नई दिल्ली, कश्मीर के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी शाह फैसल ने बताया कि उन्हें रेप पर ट्वीट करने को लेकर सरकार की तरफ से एक नोटिस मिला है। फैसल साल 2010 के भारतीय प्रशासनिक सेवा के टॉपर हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने अप्रैल महीन में एक ट्वीट किया था, यह ट्वीट एक युवक द्वारा अपना मां से रेप की घटना पर था। सरकार की ओर से भेजे गए नोटिस को फेसबुक और टि्वटर पर शेयर करते हुए फैसल ने लिखा है, 'दक्षिण एशिया में रेप कल्चर को लेकर किए गए ट्वीट पर व्यंग्यात्मक ट्वीट को लेकर मेरे बॉस ने मुझे लव लेटर भेजा है।'


कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की फैसल के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने के बाद राज्य प्रशासन विभाग ने उन्हें नोटिस भेजा है। डीओपीटी के नियम के मुताबिक एक सरकारी अधिकारी को ऐसा करने की इजाजत नहीं है। फैसल फिलहाल अमेरिका के हावर्ड विश्वविद्यालय से परास्नातक  कर रहे हैं। अधिकारी देश के विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय देते रहे हैं। 

फैसल ने अप्रैल माह में एक ट्वीट किया था, 'पितृसत्ता+जनसंख्या+निरक्षरता+शराब+पोर्न+प्रौद्योगिकी+अराजकता = रेपिस्टान!' यह ट्वीट फैसल ने एक न्यूज लिंक के साथ किया था, जिसमें खबर थी अश्लील मूवी देखने के आदि एक युवक ने अपनी मां के साथ रेप किया है। यह खबर गुजरात की थी।


फैसल बोले- बोलने से नहीं रोक सकते

अपने बचाव में फैसल ने कहा, “सरकारी कर्मचारियों को सरकारी नीति की आलोचना के लिए घसीटा जा सकता है, मैं इस बात से सहमत हूं। लेकिन, इस मामले में अगर आपको लगता है कि दुष्कर्म केवल सरकारी नीति का हिस्सा है तो आप मेरे खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं जिसे लेकर मुझे यकीन है कि यह सरकारी नीति नहीं है।”

साथ ही उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमें यह समझने की जरूरत है कि सरकारी कर्मचारी समाज में रहते हैं और वे समाज के नैतिक प्रश्नों से पूरी तरह से अलग-थलग नहीं रह सकते हैं। बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक पूरी तरह से अस्वीकार्य है।”


बचाव में आए उमर अब्दुल्ला

अधिकारी का बचाव करते हुए उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, “मैं इस नोटिस को नौकरशाही के अति उत्साह में आकर उठाए गए मामले के रूप में देखता हूं। वे उस समय की भावना को समझ नहीं पा रहे हैं, जिसमें हम रह रहे हैं।”उन्होंने कहा, “राजस्थान और अन्य जगहों के अधिकारियों द्वारा शासन और आचरण के मानदंडों को ताक पर रखने से आपको कोई परेशानी नहीं है, लेकिन फैसल द्वारा दुष्कर्म के बारे में किया गया ट्वीट आपको परेशान करता है। हालांकि, इससे मुझे किसी तरह की कोई हैरानी नहीं है।”

साथ ही उमर ने कहा “ऐसा लगता है कि डीओपीटी ने प्रशासनिक सेवाओं से शाह फैसल को निकालने का मन बना लिया है। इस पेज की आखिरी पंक्ति चौंकाने वाली और अस्वीकार्य है जहां वे फैसल की 'सत्यनिष्ठा और ईमानदारी' पर सवाल उठाते हैं। एक व्यंग्यात्मक ट्वीट बेईमानी कैसे है? यह उन्हें भ्रष्ट कैसे बनाता है?।”


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