जाट आरक्षण: सूरजकुंड में कल CM मनोहर करेंगे खास बैठक, ले सकते हैं अहम फैसले

चंडीगढ़:हरियाणा में आरक्षण सहित तमाम मुद्दों को लेकर धरना दे रहे जाटों की मांगों पर सहमति बनाने के लिए अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर कल अपने मंत्रियों से चर्चा करेंगे। माना जा रहा है कि जाटों की मांगों के संबंध में कोई भी ऐलान से पहले सरकार गैर जाट मंत्रियों को विश्वास में लेना चाहती है। मुख्यमंत्री ने कल फरीदाबाद के सूरजकुंड स्थित होटल राजहंस में कैबिनेट मीटिंग बुलाई है। सूत्रों की मानें तो मीटिंग से पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की पार्टी हाईकमान के कई नेताओं से मुलाकात होनी तय हुई है। इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री चंडीगढ़ से सोमवार दोपहर बाद दिल्ली चले जाएंगे। 

इन मांगों पर सरकार दे सकती है आश्वासन 
जाट आंदोलनकारियों द्वारा भाजपा सांसद राजकुमार सैनी पर कार्रवाई की मांग पर हाईकमान से आग्रह करने का भरोसा दिया जा सकता है।
हाईकोर्ट में जाट आरक्षण पर लगी रोक हटवाने को सरकार मजबूती से पैरवी करेगी।
झूठे मुकद्दमे दर्ज करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई का भरोसा भी सरकार दिला सकती है। 
जाट आरक्षण पर लगी रोक हटने के बाद इसे संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करवाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा जाएगा।
पक्की नौकरी का ऐलान भी सरकार कर सकती है। 

बताया गया कि मुख्यमंत्री ने रविवार को भी दिल्ली में कुछ पार्टी नेताओं से मुलाकात व बातचीत की है। सरकार के उच्चपदस्थ सूत्रों की मानें तो 19 फरवरी से पहले जाटों की मांगों पर सहमति बनाने के साथ ही धरना खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। गौरतलब है कि पश्चिमी यू.पी. चुनाव के दृष्टिगत पिछले कई दिनों से भाजपा हाईकमान हरियाणा में जाटों के धरने को खत्म करवाने की कवायद में जुटा हुआ है। इसी कड़ी में पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री बीरेन्द्र सिंह के दिल्ली निवास पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ पश्चिमी यू.पी. के प्रमुख जाट नेताओं की मीटिंग हुई थी। उसके बाद ही हरियाणा की खट्टर सरकार को भी जाट नेताओं से बातचीत करने को कहा गया।

हाईकमान की सख्ती के बाद ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मुख्य सचिव डी.एस. ढेसी की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय अफसरों की कमेटी का गठन किया, जिसने शनिवार को पानीपत में अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक सहित कई नेताओं के साथ वार्ता की। पहले दौर की वार्ता में जाट नेताओं ने अफसरों के समक्ष 7 मांगों का पुलिंदा रखा, जिस पर एक-एक कर बारीकी के साथ मांगों पर चर्चा हुई। हालांकि पहले दौर की वार्ता किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी, सरकार 15 फरवरी के पश्चिमी यू.पी. के कई जाट बाहुल्य जिलों में चुनाव होने से पहले इस मामले को सिरे चढ़ाने का प्रयास कर रही है।

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