डिजिटल दुनिया में कुछ भी नहीं होता डिलीट

डिलीट बटन दबाया और बेफिक्र हो गए. पर आपसे कहा जाए कि डिलीट एक बटन भर है. सब कुछ मिट नहीं पाता. कुछ न कुछ रह ही जाता है. आपने भले ही डिजिटल के निजी या पब्लिक (सोशल) स्पेस में जो भी लिखा है, वह कभी पूरी तरह से नहीं मिटता है.

इंटरनेट और डिजिटल दुनिया के साथ जो दिक्कतें हैं, ये उनमें से एक है. आपकी प्राइवेसी और डेटा दोनों ख़तरे में पड़ सकते हैं. अगर आप सोशल मीडिया में कहीं कुछ अपलोड कर रहे हैं तो.

डिजिटल फुटप्रिंट के रूप में रहता है डेटाः साइबर सिक्योरिटी और प्राइवेसी पर कई सालों तक काम करने वाले अमेरिका के मशहूर वकील बेहनैम डायानिम का कहना है कि इंटरनेट पर कुछ भी पूरी तरह से डिलीट करना यूजर्स के कंट्रोल में नहीं होता है. इंटरनेट पर दो बार डिलीट की हुई कोई फाइल भी लंबे समय तक इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के पास ही रहती है. जिसमें आपके ई-मेल, मीडिया, पोस्ट, टेक्स्ट और मैसेज सब कुछ शामिल हैं.

सोशल मीडिया साइट्स पर प्राइवेसी: कंटेंट प्राइवेसी को लेकर अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स की अपनी पॉलिसी हैं. हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तयशुदा मियाद के लिए आपके कंटेंट का बैकअप और आर्काइव ऑडिट या किसी अन्य पर्पज के लिए अपने पास रखता है. हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में करोड़ों की संख्या में लोग जुड़े होते हैं. फेसबुक अपनी पॉलिसी के तहत आपके डेटा डिलीट करने के साथ सब कुछ तुरंत डिलीट नहीं करता है. नियमों के मुताबिक अगर कोई यूजर पोस्ट, फोटो या कुछ और डिलीट करता है तो उसे वेबसाइट से तो तुरंत हटा लिया जाता है, लेकिन कुछ चीजें तब तक सलामत रहती हैं, जब तक आप अपना फेसबुक अकाउंट पूरी तरह से डिलीट नहीं कर देते. वह तब तक फेसबुक के सर्वर पर बना रहेगा जब तक आप अपना अकाउंट पूरी तरह से डिलीट नहीं करते.

किसी यूजर के अकाउंट डिलीट करने के बाद फेसबुक को तकरीबन 90 दिन का समय लगता है, जिसमें वह यूजर से जुड़ी तमाम जानकारी (फोटो, स्टेट्स और पोस्ट) को सोशल न्यूजफीड से हटाता है.

 

न प्राइवेसी प्राइवेट है, न डेटा सलामत

लगने और होने के बीच में फासला है. कुछ यकीन भी है आपका कि आपने जो सेव किया है वह कहीं नहीं जा सकता. पर डिजिटल दुनिया में न सिर्फ छूटे हुए निशान हैं, बल्कि बड़ी तादाद में सेंधमार भी घूम रहे हैं.
ऑनलाइन सिक्योरिटी में सेंध और थोड़ी असावधानी की वजह से इंटरनेट पर मौजूद हमारी ढेरों जानकारी किसी के भी हाथ लग सकती हैं. मसलन…

  • 2013 में याहू के तकरीबन एक बिलियन अकाउंट हैकर्स के हाथ लग थे, जिससे यूज़र की निजी जानकारी लीक हो गई.
  • 2014 में ऑनलाइन रिसेलर ई-कॉमर्स कंपनी eBay ने अपने 145 मिलियन यूजर्स से लॉगिन पासवर्ड बदलने को कहा क्योंकि कई यूज़र्स का नाम, ई-मेल एड्रेस से जुड़ी कई जानकारी चोरी हो गई थी.
  • 2014 में हुए एक साइबर अटैक में सोनी पिक्चर्स एंटरटेनमेंट के 47,000 कर्मचारियों की निजी जानकारी लीक हो गई थी.


कुछ वेबसाइट्स इस बात का दावा करती हैं वो आपकी डिजिटल मौजूदगी को पूरी तरह से मिटा सकती हैं. टेलीग्राफ, लंदन के अनुसार स्वीडन के कुछ डेवलपर्स ने मिलकर एक वेबसाइट बनाई, जिसमें आपकी डिजिटल प्रेजेंस को पूरी तरह से डिलीट करने का दावा किया जा रहा है. अक्सर हम कुछ वेबसाइट्स पर लॉग-इन करने के लिए ढेरों जगह अपनी ईमेल आईडी डाल देते हैं, लेकिन अपनी आईडी और पर्सनल डिटेल्स शेयर करने के साथ ही शायद यह भूल जाते हैं कि हमने जाने-अनजाने अपने प्रोफाइल का एक्सेस भी उन अनजानी वेबसाइट को दे दिया है, जिससे वह हमसे जुड़ी कई जानकारियां खंगाल सकती हैं.

डेटा का बैकअप अपने पास जरूर रखें
इंटरनेट की दुनिया एक खुले दरवाज़े की तरह है, जहां डेटा चोरी का खतरा हमेशा बना रहता है. सामान्य तौर एक बार फेसबुक या जीमेल पर अकाउंट बनाने के बाद अगर किसी निजी या दूसरे कारणों से आप अकाउंट डिलीट करना चाहते हैं तो इन बातों का ख्याल रखें. अकाउंट डिलीट करने से पहले अपने सारे डेटा की आर्काइव बना लें, जिससे भविष्य में अगर आपको इस डेटा के जरूरत पड़ती है तो आपको पछताना न पड़े.

इस सोशल मैसेजिंग ऐप पर नहीं बनते कोई डिजिटल फुटप्रिंट
सोशल नेटवर्किंग की इस दुनिया में हमेशा यह खतरा बना रहता है कि हमारे मैसेज कहीं लीक न हो जाएं. लेकिन एक ऐप कंपनी ने दावा किया है कि उसके प्लेटफॉर्म पर किए गए मैसेज और चैट हाई सिक्योरिटी फीचर से लैस हैं, जो कभी लीक नहीं हो सकते है. साथ ही, इस ऐप के सभी मैसेज फोन या सर्वर पर सेव नहीं होते हैं. सेंडर और रिसीवर के बीच मैसेज वन-टू-वन टेक्नोलॉजी के जरिए भेजे जाते हैं. सभी मैसेज हाइली एन्क्रिप्टेड हैं, जिनके लीक होने का खतरा न के बराबर है. यहां मैसेज पढ़े जाने के कुछ समय बाद खुद ही डिलीट हो जाएगा. जिसका कोई डिजिटल प्रिंट पीछे नहीं बचता है. साथ ही, इस ऐप पर अगर कोई चैट का स्क्रीनशॉट लेता है तो इसका आपको नोटिफिकेशन मिलेगा. डस्ट नाम का यह ऐप एंड्रॉयड और आईओएस दोनों के लिए उपलब्ध है.

सोशल वेबसाइट और मोबाइल के पर्सनल डेटा में सेंध से कई बार निजी तस्वीरों के सार्वजानिक होने के मामले सामने आए है, जिससे यह बात साफ हुई है कि डिजिटल वर्ल्ड में कहीं भी कुछ भी सुरक्षित नहीं है.
 

  • एक खबर के अनुसार, अगस्त 2017 में Lindsey Vonn और उनके एक्स-बॉयफ्रेंड टाइगर वुड्स की निजी तस्वीरें किसी ने उनका मोबाइल हैक करके लीक कर दीं, जिससे उनकी छवि दागदार हुई और वह कई दिनों तक सुर्ख़ियों में बनी रहीं.
  • इसी तरह साउथ दिल्ली के एक मामले में एक 18 वर्षीय लड़की को किसी अनजान व्यक्ति ने एक लिंक शेयर किया, जिसमें उसका ऑनलाइन वीडियो एक पोर्न वेबसाइट पर अपलोड किया गया था. इस ऑनलाइन वीडियो को डिलीट करने के बदले उस व्यक्ति ने महिला से फिरौती मांगी.
  • पांच सालों तक रिलेशनशिप में रहने के बाद 2016 में जस्टिन बीबर और सेलिना गोम्ज ने ब्रेकअप कर लिया है. ब्रेकअप के कुछ दिन बाद हैकर्स ने सेलिना का अकाउंट हैक करके जस्टिन की न्यूड फ़ोटोज़ अपलोड कर दीं. इस घटना के बाद सेलिना को अपना इंस्टाग्राम अकाउंट डिलीट करना पड़ा.
  • प्राइवेसी में सेंध के कारण जेनिफर लॉरेंस, केट अप्टन, सेलिना गोम्ज सहित कई मशहूर हस्तियां की निजी तस्वीरें सार्वजनिक हुई थीं.
  • ऐसे ही साइबर क्राइम के एक मामले में हैकर्स ने एक महिला की सोशल मीडिया फ़ोटोज़ को डाउनलोड कर उसे एडिट करके पोर्न वेबसाइट पर डाल दिया. जिसके बाद उन तस्वीरों के हटाने के बदले महिला से पैसों की मांग की गई. साइबर एक्सपर्ट्स के अनुसार फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम इस तरह के साइबर क्राइम करने वालों के लिए एक सॉफ्ट टारगेट के तरह हैं, जहां से ये हैकर्स आसानी से महिलाओं को निशान बनाते हैं.

ऐसे बचा सकते हैं अपना निजी डेटा
यूएसए टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार आपके फोन से डिलीट किया गया डेटा तकरीबन 30 दिनों तक आपके फोन में वैसे ही बना रहता है. आईफोन में इस तरह का डेटा ‘रिसेंटली डिलीट’ नाम के फोल्डर में चला जाता है. पूरी तरह से डिलीट करने के लिए इस फोल्डर से फाइलें डिलीट करनी होती हैं. इसी तरह से एंड्रॉयड पर कोई फाइल परमानेंटली डिलीट करने के लिए सिक्योर डिलीट और एंड्रायड डिलीट जैसे ऐप का यूज़ किया जा सकता है.

फोन खो जाने की स्थिति में जल्द से जल्द फोन का डेटा वाइप कर दें. जिससे चोरी करने वाले के हाथ आपकी निजी जानकारी न लगे.

ऑटो बैकअप को रखें ऑफ- फोन में मौजूद ऑटो बैकअप के ऑप्शन से आपका डेटा सेफ तो रहता है लेकिन ऑटो बैकअप होने की वजह से आपका डेटा दूसरे डिवाइस पर नजर आने की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं. इसलिए परमानेंट ऑटो अपडेट से बेहतर है कि एक निश्चित समय पर सिस्टम या मोबाइल डेटा का बैकअप लेते रहें.

डेटा चोरी में क्लाउड स्टोरेज अहम रोल निभाता है. डेटा चोरी होने या खोने के डर से ज्यादातर यूज़र गूगल ड्राइव, ड्रापबॉक्स, वनड्राइव जैसी क्लाउड स्टोरेज पर डेटा सेफ रखते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में हैकर्स इन्हीं स्टोरेज क्लाउड को निशाना बनाते है, जिससे अधिक जानकारी हासिल की जा सके.

इंटरनेट की छोड़िए आपके पर्सनल कंप्यूटर भी नहीं है बिलकुल सेफ
पर्सनल कंप्यूटर या लैपटॉप पर कोई फाइल डिलीट करने के बाद वह रिसायकल बीन में जाती है, जहां से हम किसी फाइल को परमानेंट डिलीट करते हैं. कई बार कोई ऐसी पर्सनल या गोपनीय फाइल जिसे लगता है कि तुरंत डिलीट कर देना चाहिए. हम उसे Shift+Delete के साथ डिलीट तो कर देते हैं, लेकिन आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि परमानेंट डिलीट किए जाने के बावजूद आपके सिस्टम का डेटा पूरी तरह से डिलीट नहीं होता है.

सिस्टम पर जब हम कोई फाइल डिलीट करते हैं तो सिस्टम उसके फाइल नेम को मिटा देता है. फाइल नेम मिटाए जाने बावजूद उस फाइल का मेन कंटेंट अपनी जगह पर बना रहता है, लेकिन वह फाइल नेम के साथ लिंक नहीं होता है इसलिए सिस्टम इस कंटेंट को सर्च नहीं कर पाता है. मेन फाइल डिलीट होने के बाद कंटेंट वाला यह स्पेस 'फ्री स्पेस' कहलाता है. जहां भविष्य में अगर आप कोई नई फाइल बनाते है तो वो यहां सेव हो सकती है.

इस तरह सिस्टम से पूरी तरह से डिलीट करने के बाद भी आपकी किसी फाइल का मेन कंटेंट एक लम्बे समय तक आपके सिस्टम पर बना रहता है, जिसे रिकवरी सॉफ्टवेयर जैसी कई तकनीक से दोबारा हासिल किया जा सकता है. इसलिए अगली बार अगर कुछ गड़बड़ करके आप Shift+Delete दबाकर हर मुसीबत से भाग निकलना चाहते हैं तो एक बात इस बात पर जरूर गौर करिएगा कि आपकी आंखों के सामने से जो कुछ भी डिलीट हो रहा वो सिर्फ नज़रो को धोखा है.

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