तस्करी : यात्री के हैंडबैग में कुत्ता !

नई दिल्ली . अगली बार अगर आप किसी पूर्वी यूरोपीय देश या रूस से इंदिरा गांधी इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर लैंड करें और कस्टम विभाग आपके सामान की आधे घंटे से ज्यादा तक जांच करे तो परेशान होने की बात नहीं है। हो सकता है कस्टम अधिकारी आपके बैग को अच्छे से स्कैन कर रहे हों ताकि यह पता लगा सकें कि कहीं बैग में कुत्ता तो नहीं छिपाया गया है। हाल ही में ऐसे कई मामले आए हैं जिनमें यात्री सूटकेस में कुत्ते को गैर-कानून रूप से लाने की कोशिश करते पकड़े गए हैं। 

सूत्रों ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'इन कुत्तों को बेहोश कर के बैग में बंद कर दिया जाता है। कई बार उन्हें कपड़ों या दूसरे सामानों के बीच में रखा जाता है ताकि स्कैनिंग के दौरान पकड़े जाने से बचा जा सके। कुत्तों को इस तरह से बैग में बंद देखना वाकई तकलीफदेह है।'

बीते साल भी कस्टम अधिकारियों ने ऐसे कई मामले देखे थे जिसमें यात्रियों ने प्रेग्नेंट डॉग्स को इसी तरह से बैग में बंद कर के भारत लाने की कोशिश की। सूत्र ने बताया, 'यह विदेशी ब्रीड के कुत्ते होते हैं और इन्हें यहां लोकल मार्केट में काफी ऊंचे दामों में बेचा जाता है।' एक यात्री के हैंडबैग में कुत्ता मिलने के बाद उसे हिरासत में भी लिया गया था। 

अधिकारियों को उम्मीद थी कि ऐसा करने से तस्करी के मामलों में कमी आएगी लेकिन इस साल फिर से ऐसे मामले देखने को मिले हैं। सूत्र ने बताया, 'हम रूस या ईस्टर्न यूरोप से आने वाली फ्लाइट्स के यात्रियों पर कड़ी नजर रखे हुए हैं।' कस्टम्स के सूत्रों ने बताया कि पंजाब और कई अन्य जगहों पर होने वाली 'डॉग फाइट' के लिए भी कुछ कुत्तों को तस्करी के जरिए भारत लाने की कोशिश की जा रही है। इन कुत्तों को भूखा रखा जाता है और जब इनसे फाइट कराई जाती है तो ये सामने वाले कुत्ते को मार तक डालते हैं।

अगर किसी भी यात्री को कोई जानवर लाना है तो उसे अथॉरिटी से सर्टिफिकेट लेना जरूरी है। कुछ मामलों में अधिकारियों ने पाया कि लोग पुराने सर्टिफिकेट के आधार पर ही नया जानवर भारत लाने की कोशिश कर रहे हैं। रेवेन्यू डिपार्टमेंट के सीनियर अधिकारियों ने बताया कि वे सभी मामलों की जांच कर रहे हैं और कोशिश कर रहे हैं कि इस स्मगलिंग रैकिट को खत्म करें।

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