दक्षिण एशिया उपग्रह परियोजना से पाक हुआ अलग

इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने शुक्रवार को भारत द्वारा छोड़े गए दक्षिण एशिया उपग्रह के बारे में कहा कि यह अकेले भारत द्वारा निर्मित है, लिहाजा इसे क्षेत्रीय परियोजना नहीं कहा जा सकता। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान ने खुद को इस परियोजना से अलग कर लिया है। विदेश विभाग के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने कहा, च्च्पाकिस्तान के पास अपना खुद का अंतरिक्ष कार्यक्रम है और अपनी विशेषज्ञता व प्रौद्योगिकी जानकारी साझा करने को तैयार है और भारतीय परियोजना में भागीदारी के लिए उत्सुक था। लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया कि उपग्रह को वह अकेले विकसित करेगा, छोड़ेगा ओर संचालित करेगा।

जाकारिया ने कहा कि भारत ने दक्षेस के सदस्य देशों को दक्षेस उपग्रह नामक उपहार की पेशकश की, लेकिन वह परियोजना को सहभागिता के आधार पर विकसित नहीं करना चाहता था, लिहाजा पाकिस्तान के लिए इस परियोजना का दक्षेस के बैनर तले एक क्षेत्रीय परियोजना के रूप में समर्थन करना संभव नहीं था। दक्षिण एशिया उपग्रह को एक भारतीय रॉकेट के जरिए शुक्रवार को अंतरिक्ष में छोड़ा गया। उपग्रह को उद्देश्य क्षेत्र की आर्थिक और विकास संबंधित प्राथमिकताओं को पूरा करना है। 

 

बता दें कि भारत ने साऊथ एशिया सेटेलाइट (त्रस््रञ्ज-९) का सफल प्रक्षेपण किया।  ५ मई  को यह प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा से किया गया। इसको जियोसिक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च वेहिकल (जीएसएलवी) से लॉन्च किया गया। इस मिशन में पाकिस्तान शामिल नहीं था।  इसको बनाने में भारत को ३ साल लगे और २३५ करोड़ रुपए खर्च हुए। भारत के अलावा अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका जीसैट-९ का लाभ ले सकेंगे।प्रधानमंत्री मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए ट्वीट किए।

इसके साथ ही उन्होंने सभी सहयोगी देशों के लोगों को संबोधित भी किया। उस वक्त सभी बड़े नेता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एक दूसरे से जुड़े थे। भारत द्वारा लॉन्च यह अबतक का सबसे भारी अंतरिक्ष रॉकेट था। संचार उपग्रह जीसैट-९ भारत समेत सात दक्षिण एशियाई देशों को संचार सुविधाएं उपलब्ध कराएगा। इनमें से हरेक देश को इस उपग्रह के कम से कम एक १२ केयू-बैंड के ट्रांसपोंडर्स के प्रयोग की सुविधा मिलेगी जिससे उनका संचारतंत्र मजबूत होगा। प्राकृतिक आपदा और आपातकालीन स्थिति में इस संचारतंत्र से सभी देशों को हॉटलाइन से जुड़ने की सुविधा भी मिलेगी।

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