दवाओं के दाम बढ़ाने की मिलीभगत में भारतीय दवा कंपनियां भी शा‎मिल 

मुंबई। अमेरिका की कनेक्टिकट सरकार ने बताया कि दवा ‎की कीमतें बढ़ाने के लिए मिलीभगत करने के मामले में कई राज्यों की जांच में उसने कंपनियों के नाम और दस्तावेज जारी कर दिए हैं। इस मामले में 18 दवा कंपनियों के खिलाफ अभी जांच-पड़ताल की जा रही है, जिनमें से 6 भारतीय हैं। जिन लोगों के इस साजिश में शामिल होने का शक है, उनके इनीशियल और टाइटल उसने जारी किए हैं। उसे इंडस्ट्री के कोड वर्ड्स भी रिलीज किए हैं। कनेक्टिकट सरकार ने दवा कंपनियों की ईमेल भी रिलीज की है, जिन्हें पहले गोपनीय रखा गया था। उसने बताया कि इन ईमेल में बेशर्मी से संघीय और राज्यों के प्रतिस्पर्धा कानून के उल्लंघन की रणनीति पर चर्चा की गई है। कनेक्टिकट सरकार के अटॉर्नी जनरल के ऑफिस ने 2017 में यह मुकदमा दाखिल किया था। उसने तब कहा था कि यह शायद अमेरिका के इतिहास में ऐसी मिलीभगत का सबसे बड़ा मामला है। एक  मुकदमे में भारत की अरबिंदो फार्मा, डॉ रेड्डीज, एमक्योर, ग्लेनमार्क और जायडस के नाम भी शा‎मिल हैं। इन भारतीय कंपनियों के अलावा इसमें एपोटेक्स, टेवा, हेरिटेज फार्मा और पार फार्मा जैसी जेनेरिक दवा कंपनियां भी ‎लिप्त हैं।
राज्य का आरोप था कि दवा कंपनियों ने दाम तय करने के लिए यह पूरी सा‎जिश रची। उसने 15 दवाओं की कीमत बढ़ाने के लिए इनके बीच मिलीभगत का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने मुकदमे में कहा था कि कंपनियों की मिलीभगत की कीमत अमेरिकी मरीजों को चुकानी पड़ी, जिनके लिए इलाज का खर्च बढ़ गया था। इन दस्तावेजों में  जेनेरिक दवा कंपनियों के कई सीनियर अधिकारियों के नाम के शुरुआती अक्षर दिए गए हैं। मिसाल के लिए, सन फार्मा के सीनियर सेल्स मैनेजर और प्रेसिडेंट, डॉ रेड्डीज के वाइस प्रेसिडेंट (सेल्स और मार्केटिंग), एमक्योर में कॉरपोरेट डिवेलपमेंट के प्रेसिडेंट, माएन फार्मा के एग्जिक्युटिव वाइस प्रेसिडेंट, पार फार्मा के नैशनल अकाउंट्स के वाइस प्रेसिडेंट और जायडस के सीनियर डायरेक्टर को साजिश के मामले में सह-आरोपी बनाया गया है। अटॉर्नी जनरल के ऑफिस ने पहले मुकदमे में मायलन के राजीव मलिक, एमक्योर के सतीश मेहता और हेरिटेज (एमक्योर की अमेरिकी सब्सिडियरी) के जेसन मालेक के नाम लिए थे। 

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