दुनिया के तीसरे सबसे बड़े मंदिर से जुड़ी हैं ये रोचक बातें

देश की राजधानी दिल्ली में स्थित स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर या अक्षरधाम मंदिर दिल्ली के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर है। जो भारतीय संस्कृति, सभ्यता, परंपराओं और आध्यात्मिकता की आत्मा को दर्शाता है। मंदिर निर्माण में वास्तु शास्त्र और पंचरात्र शास्त्र की हर बारीकी को ध्यान में रखा गया है। 350 फुट लंबे, 315 फीट चौड़े और 141 फीट ऊंचे स्मारक हैं। 100 एकड़ में फैला यह स्वामी नारायण जी का एक अनोखा तीर्थ है। जो कम से कम 1000 साल तक सुरक्षित रहेगा। इसे ज्योतिर्धर भगवान स्वामी नारायण की पुण्य स्मृति में बनवाया गया है। दुनिया का विशाल मंदिर होने के नाते इसका नाम गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिका‌र्ड्स में भी शामिल है। इसके दर्शन करने लगभग 10 लाख पर्यटक हर साल आते हैं।

 

 दिल्ली स्थित इस मंदिर को बनाने में लगे थे पांच साल। जो 10,000 वर्ष पुरानी भारतीय संस्कृति के प्रतीक को बड़ी ही खूबसूरती से बयां करता है। अक्षरधाम मन्दिर एक अनोखा सांस्कृतिक तीर्थ है। इसे ज्योतिर्धर भगवान स्वामी नारायण की पुण्य स्मृति में बनवाया गया है। स्वामी नारायण अक्षरधाम परिसर का निर्माण 11,000 कारीगरों और हजारों बीएपीएस स्वयंसेवकों द्वारा किया गया है। इसे बनाने में लगभग पांच साल का समय लगा है।

 

इस मंदिर का र्निमाण बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) की ओर से बनवाया गया है। बीएपीएस ने मंदिर र्निमाण कार्य 8 नवंबर 2000 को किया और पांच साल बाद 8 नवंबर 2005 को मंदिर आम जनता के लिए खोल भी दिया गया। इस मंदिर के निर्माण के लिए 300,000,000 वालंटियर्स लगे थे और दुनिया भर से भी लगभग 8000 से अधिक वालंटियर्स इस धार्मिक कार्य में शिरकत करने पहुंचे हुए थे।

 

Akshardham: 6 नवम्बर 2005 को इस मंदिर का उद्घाटन किया गया और इस अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, पूर्व प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह, विपक्ष के नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी सहित 25,000 अतिथि यहां शामिल हुए थे।

 

Why Akshardham temple is famous मंदिर की विशेषताएं: अक्षरधाम मंदिर में कुल 234 नक्काशीदार पिलर्स, 9 गुंबद और लगभग 20 हजार मूर्तियां हैं। है जो अध्यात्मिकता का परिचय दे रही हैं। मंदिर के साथ-साथ ही यहां का म्यूजिकल फाउंटेन लोगों के मन को मोह लेने वाला है। जिसकी धुन पर स्वामी नारायण जी की जीवन यात्रा की सुंदर कथा का वर्णन किया जाता है और फाउंटेन से निकलने वाले तरह-तरह के प्रकाश और पानी के भाव लोगों का मन जीत लेते हैं। यहां होने वाले लेजर शो का नजारा भी मनमोहक है। मंदिर को बनाने में स्टील, इस्पात या कंक्रीट का इस्तेमाल नहीं हुआ। इसकी नक्काशी बलुआ पत्थर और संगमरमर से बनी खूबसूरती पर्यटको को मंत्रमुग्ध कर देती है। खुले बगीचे, वॉटर बॉडीज और स्टाइल्ड कोर्टयार्ड अपने आकर्षण में बांधे रखते हैं। मंदिर परिसर के भीतर ही नीलकंठ नाम का एक थिअटर है, जहां स्वामीनारायण के जीवन से जुड़ी धांकियां प्रस्तुत की जाती हैं।
 

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