पतंजलि ने कभी ये नहीं कहा कि टूथपेस्ट के इस्तेमाल से पटेगी लड़की: बालकृष्ण

पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने कहा है कि चालू कारोबारी साल में 10 हजार करोड़ रुपए के टर्नओवर के लक्ष्य से पतंजलि थोड़ा ही पीछे रहेगा. पतंजलि बढ़ने का अर्थ है स्वदेशी का बढ़ना. जहां हम पहुंचे हैं वो बहुत छोटा है. इस क्षेत्र में हम अभी और आगे बढ़ेंगे. सीएनबीसी आवाज के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में आचार्य बालकृष्ण ने यह बात कही.

विज्ञापनों में शहीदों के इस्तेमाल के सवाल पर बालकृष्ण ने कहा कि अगर शहीद हमारे आदर्श हैं तो उन्हें आदर्श के रूप में दिखाना देश के लिए गर्व की बात है

बालकृष्ण ने कहा कि जिन लोगों ने मां, बहन, बेटियों के अर्धनग्न चित्रों का इस्तेमाल किया है, जिन लोगों ने हमारी संस्कृति को धवस्त किया है, उन्हें तो इस बारे में सोचने का भी अधिकार नहीं है. उन्‍होंने कहा कि हमने ये कभी नहीं कहा कि टूथपेस्ट का इस्तेमाल करिएगा तो लड़की पटेगी. हमने सेविंग क्रीम बेचने के लिए मां, बहन, बेटी का इस्तेमाल नहीं किया.

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आचार्य ने कहा कि, 'प्रोडक्ट कौन बनाता है, कौन जिम्मेदार है उसका कोई पता नहीं. विज्ञापन करने वालों को भी प्रोडक्ट से कोई लेना देना नहीं होता. जबकि पतंजलि के प्रोडक्ट की जिम्मेदारी हम लेते हैं. पतंजलि ने बगैर किसी की मदद लिए देश का पहला आयुर्वेदिक म्यूजियम बनाया. बायो सेफ्टी लेवल 3 का लैब बनाया गया है जहां 300 वैज्ञानिक काम करते हैं.' साथ ही उन्होंने कहा कि 'प्रायोजित षडयंत्र होता है तो थोड़ा दुख होता है. वैसे जिन लोगों के हित बाधित होते हैं वो षडयंत्र तो करेंगे ही.'

उन्‍होंने कहा कि, 'दिव्य फार्मेसी संचालन के दौरान एक दो घटना हुई जिससे बहुत दुख हुआ. किसान आंवले के अपने सभी पेड़ काटना चाहते थे, क्योंकि उन्हें वाजिब दाम नहीं मिलते थे. स्वामी रामदेव ने बगैर किसी योजना के ये फैसला लिया कि सारे आंवले खऱीद लिए जाए.'

बालकृष्ण के मुताबिक 'ना तो जूस बनाने की मशीन थी न ही व्यवस्था. फिर भी हमने करीब 500 टन आंवले खऱीद लिए. हरियाणा में किसी तरह आंवले का जूस बनाया और फिर उसे बेचना शुरू किया. हमारी सोच है कि किसानों को अपने उत्पादों का वाजिब मूल्य मिले.' किसानों की आमदनी दोगुनी करने के मुद्दे पर उन्‍होंने कहा कि, 'अगर किसानों की आमदनी दोगुना करना चाहते हैं तो फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा देना होगा. कलस्टर, कल्टीवेशन की पुख्ता व्यवस्था होने चाहिए. फसलों की बुआई के सटीक आंकड़े होने चाहिए. यही नहीं किसानों को वाजिब कीमत दिलाने के लिए सरकार के पास एक व्यवस्था होनी चाहिए.'

मेक इन इंडिया से जुड़े एक सवाल के जवाब में आचार्य बालकृष्‍ण ने कहा कि, 'जो विदेशी लोग आएंगे वो विशुद्ध रूप से अपना काम करने आएंगे. विदेशी लोग तकनीक लेकर आएंगे तो शायद तकनीक सस्ती पड़ेगी. लेकिन जहां तकनीक की ज्यादा जरूरत नहीं वहां तो हमें खुद आगे बढ़ना होगा. मेक इन इंडिया तो हो ही, मेड इन इंडिया भी होना चाहिए.

फूड रीटेल और मल्टीब्रांड रीटेल में एफडीआई के सवाल पर उन्‍होंने कहा कि सरकार जो कर रही है वो भी कुछ हद तक ठीक है. विरोध करने वाले स्वदेशी मंच भी कुछ हद तक ठीक हैं. लकीर मिटाने की बजाय, बड़ी लकीर खींच दें तो फिर लकीर मिटाने का काम कोई करेगा नहीं.'

इसके साथ ही पतंजलि के नए प्रोडक्ट लॉन्च के बारे में आचार्य ने कहा कि, 'हम स्वदेशी कपड़ों को ल़ॉन्च करेंगे. कल्टीवेशन के क्षेत्र में हम लोग काम कर रहे हैं. नागपुर एसईजेड के भीतर हमारा काम शुरू हो चुका हिंदुस्तान का सबसे बड़ा हर्बल कॉस्मेटिक, एफएमसीजी यूनिट एक साल के भीतर तैयार हो जाएगा. आसाम के तेजपुर में 3 महीने में प्रोडक्शन शुरू कर दिया है. नागपुर, इंदौर, नोएडा और जम्मू में हम बड़ा प्लांट लगाने जा रहे हैं.'

उन्‍होंने कहा कि, 'ई-कॉमर्स कंपनियां हमारे प्रोडक्ट गैर कानूनी तरीके से बेचती हैं. ई-कॉमर्स कंपनियां जो डिस्काउंट देती हैं वो अपने दूसरे प्रोडक्ट को बढ़ावा देने के लिए देती हैं. पतंजली अपने प्रोडक्ट पर कोई डिस्काउंट नहीं देती. दूसरी कंपनी के यूनिट में अगर प्रोडक्शन होता है तो टीम हमारी होती है, क्वालिटी कंट्रोल हमारा होता है. अगर दूसरी कोई कंपनी भी अपनी यूनिट देना चाहे तो हम इस्तेमाल कर सकते हैं.' उन्‍होंने कहा कि हेमा मालिनी ने विज्ञापन के लिए कोई पैसा नहीं लिया.

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