प्रोफेसर को बर्खास्त करने के खिलाफ धरने पर बैठे छात्र, न्यायिक जांच की मांग

गांधीनगर: गुजरात सेंट्रल यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. जय प्रकाश प्रधान को निलंबित किए जाने के खिलाफ विश्वविद्यालय के छात्रों ने प्रदर्शन किया। छात्रों ने विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के सामने धरने पर बैठकर अपना विरोध जताया। छात्रों ने अपने हाथों से मुंह बंदकर विश्वविद्यालय में अपनी बात रखने की आजादी से रोके जाने के खिलाफ भी प्रदर्शन किया।

क्या है छात्रों की मांग?
प्रदर्शन कर रहे छात्रों की कई मांगें हैं। पहला- डॉ. प्रधान के निलंबन की मानव संसाधन विकास मंत्रालय के द्वारा न्यायिक जांच कराई जाए और इस मामले में जो भी दोषी हो उसको सजा दी जाए। दूसरा- डॉ. जय प्रकाश प्रधान के खिलाफ शिकायत करने वाले छात्र सतीश सोनेवाने का शिकायत पत्र, डॉ. प्रधान द्वारा दिए विश्वविद्यालय को लिखे गए पत्र और विश्वविद्यालय द्वारा दिए गए जवाब पत्रों को सार्वजनिक किया जाए। तीसरा- अकैडेमिक कौंसिल और एक्जीक्यूटिव कौंसिल की बैठक को सार्वजनिक करने सहित कई मांगें हैं।

क्या कहते हैं छात्र?
प्रदर्शन कर रहे छात्र आलोक कुमार का कहना है कि डॉ. प्रधान के निलंबन की न्यायिक जांच की जानी चाहिए, जिससे सच्चाई सबके सामने आ सके। अगर विश्वविद्यालय प्रशासन एक छात्र सतीश सोनेवाने की शिकायत पर डॉ. प्रधान को निलंबित कर सकता है तो फिर डॉ. प्रधान ने जो शिकायत वीसी और रजिस्ट्रार के खिलाफ उस पर कार्रवाई क्यों नहीं हो सकती है। बताया जा रहा है कि डॉ. प्रधान ने वीसी और रजिस्ट्रार पर प्रमोशन में भेदभाव का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति और मानव संसाधान विकास मंत्रालय को चि_ी लिखी है। आरोप है कि सारी योग्यता रहने के बावजूद भी डॉ. प्रधान का प्रमोशन नहीं किया गया था।

वहीं दूसरे छात्र आकाश कुमार कहते हैं कि न्यायिक जांच की मांग इसलिए की जा रही है जिससे ये तो साफ हो सके कि आखिर ये मामला क्या है। अभी तक छात्रों को मालूम ही नहीं है कि क्या मामला है। उन्होंने कहा कि ये सामने आना चाहिए कि अगर डॉ. प्रधान ने कोई भेदभाव किया है तो वह किस तरह का भेदभाव था? उन्होंने कहा कि मामले को एक महीने से ज्यादा हो गया है और अभी तक सबकुछ क्लियर नहीं है मतलब कि दाल में कुछ काला जरूर है।

वहीं पीएचडी की छात्रा त्रुप्ति ने कहा कि कम से कम इस बात की पारदर्शिता दिखाई जाए कि आखिर आरोप किस तरह के भेदभाव का है। ये तो बताया जाना चाहिए कि किस आधार पर उनको निलंबित किया गया है। उन्होंने वह 2014 से अर्थशास्त्र विभाग में पढ़ रही हैं आज तक डॉ. प्रधान से किसी भी तरह की दिक्कत नहीं हुई। ना ही किसी तरह का भेदभाव उनकी तरफ से किया गया है। त्रुप्ति का कहना है कि इस मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए जिससे कि पूरे मामले का दूध का दूध और पानी का पानी हो।

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