फंसे मजदूरों को जिंदा बाहर निकालने का कोई रास्ता नहीं है – एक खनिक ने कहा 

शिलॉन्ग । मेघालय में एक अवैध कोयला खदान में बीते दो हफ्ते से फंसे 15 खनिकों में से बचे एक खनिक का कहना है कि फंसे मजदूरों को जिंदा बाहर निकालने का कोई रास्ता नहीं है और यह संभव नहीं है। असम के चिराग जिले में रहने वाले साहिब अली उन पांच खनिकों में से हैं जो खदान में फंसने से बाल-बाल बच गए।  
साहिब अली ने बताया कि वह और उनके चार अन्य साथी मेघालय के पश्चिमी गारो हिल्स जिले में अपने गांव निकल गए। अली ने बताया, 'उस दिन (13 दिसंबर को) हम 22 लोग खदान में गए थे। मैंने दो हफ्ते तक वहां काम किया था और मेरे जैसे कई गाड़ी खींचने वाले अंदर थे। हम उन छोटी जगहों पर क्रमबद्ध तरीके से काम कर रहे थे, जहां मुश्किल से कोई खड़ा हो सकता था।' उन्होंने कहा कि बाहर निकलने में सफल चार अन्य खनिक धातु के बॉक्स में कोयला लोड कर रहे थे।' 
13 दिसंबर को हुए हादसे को याद करते हुए साहिब ने बताया, 'सभी मजदूरों ने जल्दी, सुबह करीब पांच बजे से ही काम करना शुरू कर दिया था। दो घंटे में ही 7 बजे तक खदान में पानी भरने लगा।' उन्होंने बताया, 'मैं कोयले की गाड़ी के साथ पांच-छह फीट अंदर था, तभी मुझे लगा कि खदान में कुछ गड़बड़ है। इसके बाद तेज आवाज के साथ पानी अंदर भरने लगा। मैं किसी तरह खदान के सिरे तक आ पाया।' 
अली ने कहा, 'वहां फंसे लोगों के जिंदा होने की कोई उम्मीद नहीं है। पानी के अंदर सांस लेने के लिए हवा जाने का सवाल ही नहीं उठता।' अली की मानें तो कम से कम 17 खनिक वहां फंसे हुए हैं क्योंकि अंदर गए 22 में से केवल पांच मजदूर ही बाहर निकल सके।  

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