फैक्टरियों के मजदूरों को तीसरी लहर का डर

भोपाल । कोरोना की दूसरी लहर आने पर लॉकडाउन के बाद अपने घरों को लौटे मजदूर अब वापस काम पर आने में हिचकिचा रहे हैं। अनलॉक-2 होने के एक सप्ताह बाद भी दीगर प्रांतों के श्रमिकों की वापसी प्रदेश के कई औद्योगिक क्षेत्र में नहीं हुई है। ऐसे में फैक्टरियों में उत्पादन प्रभावित हो रहा है।अब फैक्टरी प्रबंधन 20 फीसदी कुशल श्रमिकों को काम पर वापस बुलाने के लिए तमाम तरह के ऑफर देकर लुभा रहे हैं। फैक्टरी प्रबंधन लॉकडाउन अवधि का दो माह वेतन देने से लेकर इंसेंटिव तक देने की बात कह रहे हैं। लेकिन इसके बाद भी अभी तक 12 से 15 प्रतिशत श्रमिक काम पर नहीं लौटे हैं। इसकी वजह तीसरी लहर का डर बताया जा रहा है। मजदूरों को डर है कि यदि तीसरी लहर आ गई तो फिर लौटना होगा और जितना कमा नहीं पाएंगे, उससे ज्यादा किराए भाड़ा में खर्च हो जाएगा। इसलिए वे अपने घर में ही रहकर काम कर रहे हैं।

ज्यादा कुशल मैनपावर नहीं
गोविंदपुरा, मंडीदीप सहित प्रदेशभर के अधिकांश कारखानों में काम कर रहे कर्मचारी-श्रमिकों में से 50 से 60 फीसदी श्रमिक स्थानीय हैं तो 30 प्रतिशत कुशल श्रमिक दूसरे प्रांतों के हैं। कोरोना काल मेंलॉकडाउन की परिस्थितियों के कारण लेबर काम छोड़कर दीगर प्रांत स्थित अपने घरों के लिए पलायन कर गई। अनलॉक के बाद भी उप्र, बिहार, झारखंड, बंगाल व राजस्थान, हरियाणा के कुशल श्रमिक काम पर वापस नहीं आए हैं। इससे कई फैक्टरियों में उत्पादन गति नहीं पकड़ पा रहा है। कुशल श्रमिकों को काम पर वापस बुलाने के लिए फैक्टरी मालिक/मैनेजर एक सप्ताह में दो बार श्रमिकों से चर्चा कर उन्हें काम पर आने के लिए कॉल कर चुके हैं। परिणाम है कि 10 फीसदी श्रमिक तो काम पर लौट आए हैं लेकिन 10 से 15 फीसदी श्रमिक प्रलोभन के बाद भी मध्यप्रदेश में काम पर आने को राजी नहीं हैं।

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