बिना लड़े ही गिर रहे फाइटर एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर

देश में मिग और सुखोई फाइटर एयरक्राफ्ट का रिकॉर्ड खराब हो चुका है. मिग को तो उड़ता ताबूत भी कहा जाता है. मिग की बात करें तो 45 साल में 465 विमान जमीन पर गिर चुके हैं, वो भी दुश्मन से बिना लड़े.

जंग के मैदान में क्रैश होने वाले मिग की संख्या 11 है. कई पायलट भी अपनी जान गंवा चुके हैं. 7 सुखोई विमान भी क्रेश हो चुके हैं. हेलिकॉप्टर की बात करें तो चेतक और एमआई-17 सरीखे हेलिकॉप्टर क्रेश हो चुके है.

एक एमआई-17 हेलिकॉप्टर आज अरुणाचल प्रदेश में क्रैश हुआ है. इससे पहले इलाहाबाद में एयर फोर्स के हेलिकॉप्टर की क्रैश लैंडिंग हुई थी. मार्च 2017 में राजस्थान में एक हेलिकॉप्टर गिरा था.

जानकारी के अनुसार 1963 से मिग विमान रूस से खरीदना शुरु किए थे. एक वक्त में वायु सेना के पास 946 मिग की कई स्क्वाड्रन थीं. ये सभी मिग रूस से खरीदे गए थे. 1965 और 1971 की लड़ाई में मिग ने खूब धमाल मचाया.

इसके बाद बिना लड़े ही मिग का जमीन पर गिरना शुरु हो गया. मिग 21 हो या फिर मिग 27 और 29, एक-एक कर इनके गिरने का सिलसिला जारी है. एक आंकड़े के मुताबिक 946 मिग विमानों में से 2 1965 की लड़ाई में, 8 1971 की लड़ाई में और 1 मिग विमान 1999 में कारगिल की लड़ाई में क्रैश हो चुके हैं.

45 वर्ष में 465 मिग विमान विभिन्न दुर्घटनाओं में क्रैश हो चुके हैं. अभी भी वायु सेना के बेड़े में करीब 400 मिग फाइटर एयरक्राफ्ट बाकी हैं. अलग-अलग एयरबेस पर 245 मिग 21, 87 मिग 27 और 69 मिग 29 बचे हैं. रक्षा विशेषज्ञ एयर कमोडोर रिटायर्ड एके सरकार की मानें तो 1963 से लगातार मिग खरीदे जाते रहे हैं.

बचे हुए मिग में से कुछ को सरकार 2017-18 में हटाने की बात कह रही है. वहीं 138 मिग 21 अपग्रेड करने के बाद 2022 तक उड़ाए जाएंगे. मिग की जगह सरकार एचएएल निर्मित तेजस को लाने की तैयारी कर रही है.

क्या सुखोई भी हैं मिग की राह पर

-देश में पहला सुखोई विमान 30 अप्रेल 2009 को राजस्थान में गिरा

-दूसरा सुखोई भी राजस्थान में 30 नवम्बर 2009 को गिरा

-तीसरा सुखोई 13 दिसम्बर 2011 को गिरा

-चौथा सुखोई फिर से 19 फरवरी 2013 को राजस्थान में गिरा

-पांचवां सुखोई अक्टूबर 2013 को पुणे में गिरा

-छठा सुखोई 19 मई 2015 को असम में तेजपुर के पास गिरा

-एक बार फिर सातवां सुखोई 15 मार्च को राजस्थान में गिरा

नोट: अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक सुखोई की कीमत करीब 400 करोड़ रुपये बताई जाती है.

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