बिहार: 75 करोड़ के लिए कर दी गई थी दो इंजीनियर्स की हत्या, 10 दोषी करार, जानिए
दरभंगा । सड़क निर्माण कंपनी से 75 करोड़ की रंगदारी नहीं चुकाने पर बेगुनाह दो इंजीनियरों की AK-57 से दिनदहाड़े गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस मामले में सोमवार को पंचम अपर सत्र न्यायाधीश रुपेश देव की अदालत ने फैसला सुनाते हुए दस आरोपियों को दोषी करार दिया है।
किसे मिली सजा
-कुख्यात मुकेश पाठक,विकास झा उर्फ कालिया
-अभिषेक झा,निकेश दुबे
इन दोनों कुख्यात अपराधियों को भा.द.वि.की धारा 302,386/109,387/109,120(बी)तथा आर्म्स ऐक्ट की धारा 27(2) में दोषी करार दिया गया है।
वहीं घटना के वक्त जेल में बंद पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के संस्थापक गैंगस्टर संतोष झा को भा.द.वि.की धारा 302,387/109,और 120(बी),संजय लाल देव ,पिन्टू लाल देव,बहेड़ी के पूर्व प्रमुख और गैंगस्टर संतोष झा की बहन मुन्नी देवी, पिन्टू तिवारी, और पिन्टू झा को धारा 302/109,386/109,और 120(बी) में दोषी करार दिया है। ऋषिकेश झा-अभियुक्तों को सजा के बिन्दु पर सूनवाई व निर्णय के लिए 7..मार्च की तिथि निर्धारित किया है।
किसे मिली रिहाई
अदालत ने इस मामले के आरोपी ऋषि झा,सुबोध दुबे, अंचल झा,और टून्ना झा को साक्ष्य के अभाव में रिहा करने का आदेश पारित किया है।
फिर याद आया वह खौफनाक मंजर
26 दिसंवर 2015 को बहेड़ी थानाक्षेत्र के मिडिल स्कूल शिवराम के निकट स्वचालित हथियार एके-56 की तड़तड़ाहट से न केवल बहेड़ी थर्रा उठा, बल्कि इसकी गूंज की आवाज सुन पूरे जिले में दहशत छा गया था।
इस घटना में समस्तीपुर के वरुणापुल से रसियारीघाट तक सड़क एस एच 88 का निर्माण कार्य करा रहे सी एण्ड सी/बीएससी ज्वाईंट भेंचर के अभियंता मुकेश कुमार और ब्रजेश कुमार की निर्मम हत्या अत्याधुनिक स्वचालित हथियारों से गोलियों से छलनी कर कर दी गई थी।
इस घटना से पूरा बिहार थर्रा उठा था। जाते-जाते अपराधी मुकेश पाठक और विकास झा जिन्दाबाद का नारा लगाते घटना स्थल पर पर्चा फेंककर फरार हो गये थे।
घटना का कारण
समस्तीपुर से भाया बहेड़ी दरभंगा जिला को जोड़नेवाली वरुणापुल से रसियारीघाट तक 727.99 करोड़ की लागत से 120.354 कि.मी. एस एच 88 का निर्माण कार्य का ठेका बीएससी/सी एण्ड सी ज्वाईंट भेंचर कंपनी को मिली।
निर्माण कंपनी से रंगदारी स्वरुप मोटी रकम की उगाही के मकसद से जिला से बाहर के अपराधियों द्वारा दहशत फैलाने के उदेश्य से इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया। और इस खौफनाक बारदात के बाद बहुत दिनों तक निर्माण कार्य ठप्प रहा और आज भी कार्य अधूरा है।
अपराधियों का स्थानीय कनेक्शन
जिला से बाहर के आपराधिक गिरोह का स्थानीय कनेक्शन के रुप में बहेड़ी के पूर्व प्रमुख मुन्नी देवी और संजय लाल देव, जो संतोष झा के बहन-बहनोई हैं। घटना में इसके भी जुड़े होने की बात सामने आई है।
आरोप पत्र
अनुसंधान के क्रम में इस वारदात के पीछे सड़क निर्माण कंपनी से कमीशन के तौर पर मोटी रकम की उगाही की बात सामने आई और इस घटना में भागलपुर केन्द्रीय कारा में बंद कुख्यात गिरोह संतोष झा गैंग का हाथ पाया गया, जिसमें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी गैंग के कुल सोलह लोगों के विरुद्ध अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया।
स्पीडी ट्रायल
इस हाई प्रोफाईल मामले की स्पीडी ट्रायल के तहत चाक-चौबन्द सुरक्षा ब्यवस्था के तहत डे-टू-डे अदालत में सूनवाई शुरु हुई।
बीडीओ कन्फ्रेसिंग के माध्यम से ट्रायल
दरभंगा न्यायालय के इतिहास में पहली बार इस हाईप्रोफाईल मामले के अभियूक्तों के केश की सूनवाई बीडीओ कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शुरु हुई।
कुल गवाह
इस संगीन बारदात की समपुष्टि में अभियोजन पक्ष से कुल बीस गवाहों की गवाही कराई गयी। कानून के बिन्दु पर दोनो पक्षों की ओर से महीनों तक बहस के बाद अदालत ने अभियोजन साक्ष्य बंद कर 26 दिसंवर को घटित हत्याकांड के अभियुक्तों की सजा की तिथि निर्धारित की गई है।
हथियार बरामद
अपराधियों द्वारा दोनो अभियंताओं की हत्या में प्रयुक्त हथियार एके-56 को पुलिस ने जिला से बाहर के जिलों में अभियुक्तों की निशानदेही पर बरामद कर लिया।
पुलिस छावनी में कोर्ट तब्दील रहा
खूंखार कैदियों के मामले का डे-टू-डे स्पीडी ट्रायल चलने के दौरान अदालत में सालोंभर अभूतपूर्व सुरक्षा की ब्यवस्था की जाती रही। सालों भर अभियुक्तों की अदालत में पेशी के दौरान कोर्ट प्रांगण पुलिस छावनी में तब्दील रहा। जब वीडीओ कॉन्फ्रेंसिंग से इस मामले की सुनवाई शुरु हुई तो जिला प्रशासन ने चैन की सांस ली।अभूतपूर्व सुरक्षा ब्यवस्था
अदालत द्वारा इस मामले में न्याय निर्णय की तिथि निर्घारित होते ही कोर्ट प्रांगण सोमवार को पुलिस छावनी में तब्दील रहा। अदालत के सभी प्रवेश द्वारों को बंद कर सुरक्षाकर्मियों को तैनात कर दिया गया था। अदालत आने वालों की सघन तलाशी के बाद प्रवेश कराया गया।
कोर्ट की सुरक्षा की निगेहबानी के लिए बारह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं जिनमें चार खराब थे। परन्तु सुरक्षा कारणों से एक रोज पूर्व हीं चारों कैमरे ठीक करा लिए गये। वहीं अदालत के भीतर सुरक्षा की कमान बेनीपुर के डीएसपी अंजनी कुमार सिंह शहर के कई थानेदारों के साथ खुद संभाल रखा था।
दो बर्ष दो माह के अन्दर फैसला
अभियोजन पक्ष की त्परता, गवाहों की अदालत में ससमय उपस्थिति में जिला प्रशासन की तत्परता और अदालत द्वारा त्वरित न्यायिक तत्परता से महज दो बर्ष दो माह के अन्दर छब्बीस दिसंवर 2015 को दोहरे इंजिनियर्स की जघन्य हत्याकांड का न्याय निर्णय भी छब्बीस तारीख को हुई है।
अब दसों अभियुक्तों को अदालत ने जिन-जिन धाराओं में दैषी करार दिया है। उसमें सजा के बिन्दु पर सुनवाई के बाद आजीवन कारावास की सजा भी हो सकती है।
बन्ध पत्र खण्डित
फैसला सुनाने के बाद कोर्ट ने जमानत प्राप्त अभिषेक झा, पिन्टू लाल देव,मुन्नी देवी,आदि को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। बहरहाल अब सभी की निगाहें 7 मार्च को दोषी करार दिये गये बेगुनाह इंनजिनियर्स के हत्यारों को अदालत से मिलने वाली सजा पर टिक गई है।
अलग ट्रायल
इस केश के अनुसंधान के क्रम में पुलिस ने पूरक आरोप पत्र दाखिल किया था। जिसमें प्रभाकर मिश्रा तथा कुन्दन सिंह के विरुद्ध आरोप पत्र समर्पित किया।अदालत में संज्ञान के बाद दोनों अभियुक्तों के विरुद्ध बर्ष 2016 में आरोप गठन किया गया। दोनों आरोपियों का अलग से ट्रायल सत्रवाद सं.436/16 के तहत गवाहों की उपस्थिति पर चल रहा है।