बीमारी ठीक होने के बाद यहां के राजा ने योग गुरु को तोहफे में दे दिया था महल

आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है और मैसूर को इस दिन भूला नहीं जा सकता. मैसूर और योग का बहुत पुराना और गहरा संबंध है. मैसूर के राजा कृष्ण राजेंद्र वोडेयार ने सन् 1930 में कहा था कि क्षेत्र में एक योग गुरु हैं जो उनकी बीमारी के इलाज में मदद करेंगे. वो योग गुरु थे तिरुमलाई कृष्णमाचार्य जिन्होंने राजा के ठीक होने में मदद भी की थी.

अपनी बीमारी के इलाज से खुश राजा ने गुरु को योगाशाला शुरू करने के लिए जगमोहन पैलेस तोहफे में दे दिया और जहां से मैसूर का योग से गहरा नाता जुड़ गया.

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर भी मैसूर की योग से अपने ऐतिहासिक संबंधों को फिर से जिंदा करने की कोशिश होगी. इससे पहले सोमवार को मैसूर के 8381 छात्र-छात्राओं के साथ पैलेस में योगा आसनों की सबसे लंबी चेन बनाई. 15 मिनट में चार आसन किए गए. पिछले रिकॉर्ड में 3000 लोगों ने योगासन करके रिकॉर्ड बनाया था.

21 जून को योगा दिवस पर 40,000 लोगों के योगा करने के साथ मैसूर इतिहास में एक और पन्ना अपने नाम करना चाहता है. इस दौरान मैसूर रेस कोर्स में 35 मिनट में 20 से 25 आसन किए जाएंगे.

योग के लिए जाना जाता था मैसूर
मैसूर के उपायुक्त डी रणदीप ने कहा, 'मैसूर पर्यटन से पहले योग के लिए जाना जाता था. योग काफी लोकप्रिय है लेकिन अब हमें उसे बढ़ावा देना चाहते हैं और पर्यटन के लिए भी प्रोत्साहित करना चाहे हैं.'

ऐसा पहली बार नहीं है मैसूर ने कोई वैश्विक स्तर पर अपना नाम करने की कोशिश की है. इससे पहले भी मैसूर ऐसे प्रयास कर चुका है और दूसरे शहरों से ज्यादा लोकप्रिय रहा है. कृष्णमाचार्य के शिष्य अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में गए और कैंप व​ शिविर के जरिए योग और उसके फायदों का प्रचार किया. उन्होंने ये यात्रा सिर्फ 500 डॉलर के साथ शुरू की.

बीकेएस अयंगर ने ​पांच साल पहले कहा था कि उनका भाग्य उन्हें योग की तरफ ले गया. ​30 साल पहले अयंगर और जॉइस योग के अपने-अपने स्टाइल को पश्चिम में लेकर गए. तब भारत में योग की लोकप्रियता बहुत निचले स्तर पर थी.

अपने अलग स्टाइल के साथ अयंगर स्कूल लोगों के लिए योग थोड़ा आसान बनाने के लिए प्रॉप्स का इस्तेमाल करता है जबकि जॉइस आष्टांग योग के पारंपरिक तरीके पर जोर देते हैं.

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