बीमारी फैलाने वाले मच्छरों की पीढी हो जाएगी नष्ट 

फ्लोरिडा कीज । अगली पीढ़ी ऐसे मच्छरों की आएगी जो किसी को बीमार नहीं कर पाएंगे। इसके ‎लिए अमे‎रिकी जेनेटिकली मॉडिफाइड मच्छर छोड़ने की तैयारी कर रहा है। फ्लोरिडा में करीब 75 करोड़ जेनेटिकली मॉडिफाइड मच्छरों को छोड़ने की तैयारी हो चुकी है। ये मच्छर बाहर जाकर मच्छरों के साथ संबंध बनाएंगे। ये मच्छर सामान्य मच्छरों के बीच जाकर उनकी पीढ़ी को नष्ट कर देंगे। या फिर इनकी वजह से ऐसी नस्लें आएंगी जिनके काटने से इंसान किसी बीमारी का शिकार नहीं होगा। जो कंपनी ये काम कर रही है उसे बिल गेट्स ने फंडिंग की है।तो अमेरिका का प्लान ये है कि वह फ्लोरिडा में अगले एक साल में चरणबद्ध तरीके से 75 करोड़ जेनेटिकली मॉडिफाइड मच्छर छोड़ने की तैयारी है। 
जेनेटिकली मॉडिफाइड मच्छरों को छोड़ने के इस प्रोजेक्ट को पिछले साल अगस्त में अमेरिकी सरकार से अनुमति मिल चुकी थी। जेनेटिकली मॉडिफाइड मच्छर ऐसे हैं कि इनके ऊपर किसी भी बीमारी का बैक्टीरिया, वायरस या पैथोजेन असर नहीं करता। इस लिए जब ये सामान्य मच्छरों के साथ संबंध बनाएंगे तो आने वाली मच्छरों की नस्लें भी इनके जीन लेकर पैदा होंगी। बस वो भी बीमारियां फैलाने में नाकाम हो जाएंगे, क्योंकि उनके शरीर में वो जींस होंगे जो बैक्टीरिया, वायरस को दूर रखेंगे। जेनेटिकली मॉडिफाइड मच्छरों को छोड़ने से भविष्य में कीटनाशकों का खर्च बचेगा। ये मच्छर खासतौर से एडीस एजिप्टी  मच्छरों की नस्ल को खत्म करेंगे। एडीस एजिप्टी  मच्छरों की वजह से ही इंसानों में डेंगू, जीका वायरस और यलो फीवर फैलता है। फिलहाल ये पायलट प्रोजेक्ट फ्लोरिडा कीज में शुरू किया जाएगा। यहां पर इस साल अब तक 47 लोग डेंगू की वजह से बीमार पड़ चुके हैं। इसे रोकने के लिए यह प्रोजेक्ट कितना कारगर होगा ये तो समय बताएगा, लेकिन इस काम के लिए अमेरिकी सरकार ने ब्रिटेन में स्थित अमेरिकी कंपनी से समझौता किया है। 
इस कंपनी का नाम है ऑक्सीटेक। इसे इस काम के लिए अमरेकी पर्यावरण एजेंसी से भी हरी झंडी मिल चुकी है। ऑक्सीटेक जेनेटिकली मॉडिफाइड मच्छरों को पैदा करती है। यह ऐसे नर एडीस एजिप्टी  मच्छर पैदा करेगी जो किसी तरह की बीमारी फैला नहीं पाएंगे। इन मच्छरों को ओएक्स5034 नाम दिया गया है।ये जेनेटिकली मॉडिफाइड नर एडीस एजिप्टी मच्छर जब छोड़े जाएंगे तो ये मादा एडीस मच्छरों से संबंध बनाएंगे। ऐसे में इनके शरीर से एक खास तरह का प्रोटीन मादा एडीस मच्छरों में जाएगा। जिससे आगे पैदा होने वाली मच्छरों की नस्लें बीमारी पैदा नहीं कर पाएंगी।मादा एडीस मच्छर जब अपने अंडों को बड़ा कर रही होती हैं, तब वे खून पीना शुरू करती हैं। लेकिन नर मच्छर फूलों का पराग खाता है। 
नर मच्छर किसी तरह की बीमारी भी लेकर नहीं घूमता। ये काम मादा मच्छर का होता है। लेकिन जेनेटिकली मॉडिफाइड मच्छरों से संबंध बनाने के बाद मादा एडीस जो अंडे देगी उसमें से जेनेटिकली मॉडिफाइड मच्छर ही पैदा होंगे। इससे पहले ऐसा एक्सपेरीमेंट साल 2016 में ब्राजील में किया गया था लेकिन बेहद छोटे पैमाने पर। हालांकि, उसके नतीजे बेहद सकारात्मक थे। ब्राजील में मच्छरों को छोड़े जाने के बाद मच्छर जनित बीमारियों में भारी कमी दर्ज की गई थी।अब इस प्रोजेक्ट को लेकर भी पर्यावरणविदों का कहना है कि इससे धरती का इको सिस्टम बदल जाएगा। ये आगे चलकर खतरनाक भी साबित हो सकता है। कहीं ऐसा न हो कि जेनेटिकली मॉडिफाइड मच्छर भी कोई नई बीमारी लेकर घूमने लगे, जो ज्यादा जानलेवा हो। 
 

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