‘बुद्ध की नगरी’ में चोरी के पानी के सहारे लोग बुझा रहे हैं अपनी प्यास

बुद्ध की नगरी (गया) के विष्णुपद मंदिर से सटे लखनपुरा मुहल्ला वार्ड-45 में पीने के पानी का गंभीर संकट है. नगर निगम इस बात बेपरवाह है कि यहां रहने वाले करीब 5 हजार लोगों को पीने का पानी कहां से मिलेगा. घरों में लगे चापाकल से निकलने वाले पानी में आर्सेनिक की मात्रा काफी अधिक है.

निगम की ओर सप्लाई होने वाले पानी के लिए कहीं भी टैप नहीं है और ना ही किसी के पास व्यक्तिगत कनेक्शन है. वहीं साफ सुथरा पानी के लिए और कोई चारा नहीं देख लोगों के लिए चोरी के सहारे प्यास बुझाना मजबूरी हो गई है.

दर-दर मिन्नत आरजु करने के बाद लोगों ने वाटर सप्लाई के लिए जा रही मेन पाइप में जगह-जगह छेद कर पीने के लिए रास्ता खोज निकाला है. लोगों का कहना है कि कई बार पानी की समस्या को लेकर स्थानीय विधायक सह मंत्री प्रेम कुमार, प्रमंडलीय आयुक्त, जिलाधिकारी और नगर निगम अधिकारीयों को अवगत कराया गया, लेकिन बदले में सिर्फ आश्वासन मिला.

हाल ही में संपन्न पितृपक्ष मेला में आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए प्रशासन के द्वारा कई जगहों पर आरओ (RO) रखा गया था और कहा गया था कि पितृपक्ष मेला खत्म होने के बाद घरों में सप्लाई नल लगा दिया जायेगा. वो भी नहीं हुआ है. महिलाएं कहती हैं कि यहां का पानी पीने के लिए तो दूर, घर के अन्य कामों में उपयोग के लायक भी नहीं है.

स्नान करने पर खुजली, कपड़ा धोने पर पीला व बर्तन भी यहां के पानी से खराब हो जाते हैं. पानी में इतनी दुर्गंध है कि नाक के पास तक नहीं ले जा सकते हैं. सरकार की ओर से हर घर नल की योजना है, लेकिन यहां के प्रशासन के द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया है.

महिलाएं कहती हैं कि अगर पानी के चोरी के अरोप में जेल भी जाना पड़े तो कोई गम नहीं. उन्होंने कहा कि जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया गया तो सड़क जाम कर प्रदर्शन किया जायेगा.

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