भक्तिभाव से 64 रिद्धि महामंडल विधान के अर्घ्य समर्पित  

भोपाल।  आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य मुनिश्री अरह सागर महाराज के सानिध्य में भक्तिभाव से 64 रिद्धि महामंडल विधान का समापन हुआ। प्रात: मूलनायक भगवान पार्श्वनाथ का अभिषेक इन्द्रों द्वारा किया गया। जिनालय में विधान का भव्य और आकर्षक मांडना सजाया गया था। भक्ति के साथ संगीतमय स्वर लहरियों के द्वारा रचना जैन के मुखारबिन्द से जैन भजनों की धुन पर भक्ति नृत्य किये गये। विधान के प्रमुख पात्र बने बृजेश, जयकुमार (सोधर्म इन्द्र), अनिल जैन (महायज्ञ नायक), दीपक जैन (कुबेर इन्द्र), उत्तम चंद (सनत कुमार इन्द्र), जिनेन्द्र जैन (महेन्द्र इन्द्र), आकाश जैन (ईशान इन्द्र) सहित प्रमुख पात्रों द्वारा मंडल पर अष्ट द्रव्यों का थाल सजाकर अर्घ्य समर्पित किये गये। पंचायत कमेटी के प्रवक्ता अंशुल जैन ने बताया कि कि ब्र. प्रवेनद्र भैया के निर्देशन में धार्मिक अनुष्ठान विधि-विधान से सम्पन्न हुये। विश्व शांति महायज्ञ के साथ 64 रिद्धि महामंडल विधान का समापन हुआ। मुनिश्री अरह सागर महाराज ने कहा कि जीव अकेला ही कर्म करता है अकेला ही कर्म फल भोगता है फिर भी अज्ञानी दशा में भोग विलास के कारण पापमय जीवन जी रहा है। 
मुनिश्री ने कहा कि इन्द्रियों के सुखों को कोई नहीं भोग पाया इन्द्रियों का दर्प आत्मा के आनंद को नाश कर देता है। अतिइन्द्रिय सुख को खा जाती हैं इन्द्रिओं का सम्राट मन है जो पहले कहता है धर्म करो फिर कहता है कर्म करो। इन्द्रियों के दास मत बनो जीवन में सुख-शांति का साधन है वीतराग विज्ञान। मुनिश्री ने आगे कहा कि आत्मा को परमात्मा बनाने की विधि चारित्र है। 
मंदिर समिति के अध्यक्ष देवेन्द्र मल्लू, संजय जैन पीकलोन, संतोष कुंदन, राजेन्द्र जैन, सुरेन्द्र जैन, सुनील जैन महिला मंडल की चंचल, प्रगति, उषा, संध्या, सुनीता, विनीता, सीमा आदि ने मुनिश्री को श्रीफल समर्पित कर आशीर्वाद लिया। 

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