भगवान श्रीगणेश को इसलिए मिला है अहम स्थान
भगवान श्रीगणेश समस्त वास्तु दोषों को दूर करते हैं। भगवान श्रीगणेश मंगलकारी देवता हैं। जहां श्रीगणेश का नित पूजन-अर्चन होता है, वहां रिद्धि-सिद्धि और शुभ-लाभ का वास होता है। घर के मुख्य द्वार पर भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा या तस्वीर लगाने से घरवालों की दिनों दिन उन्नति होती है। आम, पीपल और नीम से बनी श्रीगणेश की मूर्ति घर के मुख्य दरवाजे पर लगाएं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।घर के मुख्यद्वार पर चौखट के ऊपर भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा या तस्वीर लगानी चाहिए। उनके आसपास सिंदूर से उनकी दोनों पत्नियों के नाम रिद्धि-सिद्धि लिखने की परंपरा है।
घर में पूजा के लिए भगवान श्रीगणेश की शयन या बैठी हुई मुद्रा में मूर्ति शुभ मानी जाती है।
कार्यस्थल पर खड़ी हुए मुद्रा में भगवान श्रीगणेश की मूर्ति लगाएं। इससे स्फूर्ति और उमंग बनी रहती है। ध्यान रहे कि खड़े हुए श्रीगणेश जी के दोनों पैर जमीन को स्पर्श करते हुए हों। इससे कार्य में स्थिरता आती है।
कई वास्तुदोषों का निवारण भगवान गणपति जी की पूजा से होता है। वास्तु पुरुष की प्रार्थना पर ब्रह्माजी ने वास्तुशास्त्र के नियमों की रचना की थी। यह मानव कल्याण के लिए बनाया गया था इसलिए इनकी अनदेखी करने पर घर के सदस्यों को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक हानि भी उठानी पड़ती है अत: वास्तु देवता की संतुष्टि के लिए भगवान गणेश को पूजना बेहतर है। श्री गणेश की आराधना के बिना वास्तु देवता को संतुष्ट नहीं किया जा सकता। बिना तोड़-फोड़ अगर वास्तु दोष को दूर करना ये उपाय करें।
यदि घर के मुख्य द्वार पर गणेशजी की प्रतिमा लगायी गयी हो तो हो सके तो दूसरी तरफ ठीक उसी जगह पर गणेशजी की प्रतिमा इस प्रकार लगाएं कि दोनों गणेशजी की पीठ मिलती रहे। इस प्रकार से दूसरी प्रतिमा लगाने से वास्तु दोषों का शमन होता है। भवन के जिस भाग में वास्तु दोष हो, उस स्थान पर घी मिश्रित सिन्दूर से स्वस्तिक दीवार पर बनाने से वास्तु दोष का प्रभाव कम होता है।
दक्षिण व नैऋत्य कोण और श्री गणेश
घर या कार्यस्थल के किसी भी भाग में वक्रतुंड की प्रतिमा लगा सकते हैं, किंतु प्रतिमा लगाते समय यह ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि किसी भी स्थिति में इनका मुंह दक्षिण दिशा या नैऋत्य कोण में नहीं हो। इसका विपरीत प्रभाव होता है।
घर में बैठे हुए गणेशजी तथा कार्यस्थल पर खड़े गणेशजी का चित्र लगाना चाहिए। किंतु यह ध्यान रखें कि खड़े गणेशजी के दोनों पैर जमीन का स्पर्श करते हुए हों, इससे कार्य में स्थिरता आने की संभावना रहती है।
भवन के ब्रह्म स्थान अर्थात केंद्र में, ईशान कोण एवं पूर्व दिशा में सुखकर्ता की मूर्ति लगाना शुभ रहता है। सुख, शांति, समृद्धि की चाह रखने वालों के लिए सफेद रंग के विनायक की मूर्ति लगाना चाहिए।
हर अवसर पर शुभ सिंदूरी गणेश
सर्व मंगल की कामना करने वालों के लिए सिंदूरी रंग के गणपति की आराधना अनुकूल रहती है। विघ्नहर्ता की मूर्ति में उनके बाएं हाथ की ओर सूंड घुमी हुई हो, इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
दाएं हाथ की ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी हठी होते हैं तथा उनकी साधना-आराधना कठिन होती है।
लड्डू और मूषक
मंगलमूर्ति भगवान को मोदक एवं उनका वाहन मूषक अतिप्रिय है अत: तस्वीर लगाते समय ध्यान रखें कि उसमें मोदक या लड्डू और मूषक अवश्य होना चाहिए। इस तरह आप भी बिना तोड़-फोड़ के गणपति पूजन द्वारा वास्तुदोष को दूर कर सकते हैं।