भारत बोला- कूटनीति से निकलेगा हल, चीन ने कहा- पहले बॉर्डर से पीछे हटें भारतीय सैनिक

डोकलाम विवाद पर चीन के  राजनीतिक सलाहकार ली या ने कहा कि भारतीय सेना को पीछे हटना होगा। वह सुरक्षा के नाम पर किसी अन्य देश की सीमा में नहीं घुस सकता। भारत और चीन के बीच बातचीत के लिए यह पहली शर्त है। 
 
वहीं  भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद पर भारत ने इसका कोई कूटनीतिक रास्ता निकालने की बात कही है। बुधवार को राज्य रक्षा मंत्री सुभाष भाम्रे ने कहा कि सिक्किम-भूटान-तिब्बत तिराहे पर चल रहा विवाद केवल कूटनीतिक तरीके से हल किया जा सकता है। हम यहीं चाहते हैं। 

उन्होंने आगे कहा कि चीनी सैनिक वहीं रहें जहां वह पहले थे, उन्होंने भूटान की सीमा में प्रवेश किया है। उन्हें भूटान की सीमा में नहीं घुसना चाहिए, यह हमारी सुरक्षा से जुड़ा मामला है और यही हमारा स्टैंड है। 

वहीं चीनी अखबार ने दावा किया है कि चीनी सेना ने डोकलाम सीमा पर सैन्य अभ्यास किया है, जिसमें 96बी टैंक का इस्तेमाल किया गया। अखबार ने यह भी कहा है कि यह अभ्यास भारत की गलतफहमी दूर करने के लिए है। 

गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच बुधवार को चीन ने भारत पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। चीन ने कहा था कि भारत डोकलाम को ट्राई-जंक्शन का हिस्सा बता रहा है,जोकि गलत है। चीन ने कहा कि भारत डोकलाम को लेकर जानबूझकर लोगों में भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है, जबकि डोकलाम ट्राई जंक्शन का हिस्सा नहीं है। 

चीन लगा रहा भारत पर आरोप

साथ ही चीन ने ये भी कहा था कि चीनी सैनिक जिस जगह सड़क बना रहे थे, वो माउंट गिप्मोची से 2000 मीटर दूर है। चीन ने भारत को धमकाते हुए सेना को हटाने पर जोर दिया और कहा कि भारतीय सैनिकों को वापस लौटना ही होगा।

वहीं गेंग ने भारत को 1890 चीन-ब्रिटेन की संधि को नजरअंदाज करने का आरोप भी लगाया है। गेंग ने 1890 की संधि का हवाला देते हुए कहा कि सिक्किम सेक्टर की बाउंड्री सड़क निर्माण की जगह से 2 हजार मीटर दूर है। सिक्किम सेक्टर की सीमा माउंट गिप्मोची तक है।

गेंग ने तो यहां तक कह दिया कि ट्राई जंक्शन और भारत-भूटान-चीन का इस सड़क को लेकर विवाद ही नहीं होना था। क्योंकि सड़क निर्माण तो चीनी क्षेत्र में हो रहा था। 

गौरतलब है कि चीनी सैनिक भारतीय सीमा के पास निर्माण कार्य कर रहे थे, जिसे भारतीय सैनिकों ने रोक दिया। इस घटना के बाद से अबतक दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है और दोनों ही देशों के 3 हजार से अधिक सैनिक आमने-सामने हैं।

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