भूख और प्यास से काल का ग्रास बनी दर्जनों गाय, मरने के बाद भी नहीं मिला सुकून

प्रशासन की अनदेखी के चलते गौमाता कहलाने वाली गाय लगातार काल की भेंट चढ़ने को मजबूर है. पानीपत के गांव नारायण में 13 एकड़ में गायों के लिए गौशाला का निर्माण तो करवाया गया, लेकिन प्रशासन निर्माण के बाद आजतक चारदिवारी तक नहीं करवा पाया. चंदे के सहारे सैंकड़ों गायों का गुजारा हो रहा है. ये गायें बिजली पानी की किल्लत के साथ आवारा कुत्तों के आतंक से भी पीड़ित हैं.

आवारा कुत्ते जिन्दा गायो को तो अपना शिकार बना ही रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही मरने के बाद भी उन्हें जमीन से निकालकर खा रहे हैं. इससे चारों और बदबू फैल रही है और वहीं गौशाला में मौजूद अन्य गाय भी बीमार हो रही हैं. गौशाला के संचालकों ने इस और कोई ध्यान नहीं दिया जिसके चलते गर्मी के मौसम में इस गौशाला में पिने के पानी के साथ गायों के लिए चारे का प्रबन्ध नहीं हो पाया और गायों की मौत होने लगी.

समाजसेवी भेज रहे चारा

मामला मीडिया के सामने आया और जब हालत देखे तो हालात बद से बदतर मिले. चारा तो समाजसेवी भिजवा रहे हैं, लेकिन अऩ्य सुविधाएं कौन प्रदान करेगा. एक बड़ा सवाल सामने है कि आखिर इन हालातों के लिए जिम्मेवार कौन है. लोग गायों के दूध देना बंद करने के बाद उन्हें आवारा छोड़ देते हैं. इन गायों को गंदगी में मुंह मारकर अपना पेट भरना पड़ता है. सरकार और प्रसाशन इस और अगर समय रहते कार्यवाही करता और ध्यान देता तो गायों के यह हालात नहीं होते और न ही काल की भेट चढ़ती.
 

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