मंत्री, सांसदो, विधायको के नाम पर फर्जी नोटशीट कांड

भोपाल। प्रदेश में मंत्री, सांसदों और विधायकों के नाम पर फर्जी नोटशीट के मामले की पडताल मे जुटी क्राइम ब्रांच की टीमे दो तहसीलदार, 20 शिक्षक सहित शासकीय कर्मचारियों से पूछताछ करेगी। बताया गया है कि इन कर्मचारियों की अनुशंसा का पत्र सीएम हाउस तक पहुंचा था, जो बाद में फर्जी निकला था। वहीं पुलिस अफसरों ने सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत तीन सांसद और विधायक से बातचीत कर उसकी तस्दीक भी कर ली है। अब तहसीदारों और बीस अन्य को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए तलब किया जाएगा। पुलिस का कहना है, कि कर्मचारियों यह जानकारी जुटाई जायेगी कि उन्होंने किस व्यक्ति के जरिये से नोटशीट बनवाई थी। जिससे पुलिस मुख्य आरोपी तक पहुंच सकेगी। क्राइम ब्रांच अधिकारियो के अनुसार सीएम हाउस से धोखाघड़ी किए जाने की शिकायत आई मिली है। इसमें स्वास्थ्य विभाग, स्कूल शिक्षा और राजस्व विभाग के करीब 12 कर्मचारियों के ट्रांसफर की नोटशीट भेजी गई। इसमें भोपाल सांसद प्रज्ञा सिंह, राजगढ़ सांसद रोडमल नागर, देवास सांसद महेंद्रसिंह सोलंकी और रायसेन जिले के सिलवानी विधायक रामपाल.सिंह का नाम है। दो-तीन तहसीलदार, 20 शिक्षक, क्लर्क सहित अन्य कर्मचारियों के नाम सामने आ चुके हैं, जिन्हे नोटिस देकर ब्यान देने के लिये तलब किया गया है, और अब उनसे ही पूछताछ में पूरे मामले का खुलासा हो सकेगा। अफसरो का कहना है कि अभी मामले में प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है। पहले कर्मचारियों से पूछताछ कर उनके ब्यान दर्ज किये जायेगे ओर फिर जॉच के आधार पर रिर्पोट दर्ज की जाएगी। अधिकारियो का कहना है कि कर्मचारियों से पूछताछ में साफ हो जाएगा कि उन्होंने किस व्यक्ति के जरिये से नोटशीट बनाई है, या उन्होंने ही फर्जीवाड़ा किया है।  वही मिली जानकारी के अनुसार सीएम हाउस पहुंची ट्रांसफर की फर्जी नोटशीट में भोपाल सांसद के असली साइन और लेटर की कॉपी कर अनुशंसा कर दी गई। इसमें मैटर से लेकर पत्र क्रमांक फर्जी था। बताया गया है कि चार बिंदुओं पर सीएम हाउस में यह फर्जीवाड़ा पकड़ा गया। इस मामले में प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि उनके यहां से कई जरूरतमंदों को अनुशंसा पत्र दिए जाते हैं, ताकि उनकी मदद की जा सके। सीएम हाउस पहुंचा उनका अनुशंसा पत्र फर्जी है। इस तरह का लेटर उनके ऑफिस से जारी ही नहीं किया गया। उनके यहां इस पत्र की कोई एंट्री नहीं है। प्रज्ञा ने बताया कि उनके द्वारा जारी लेटर के बाद एंट्री रजिस्टर में भी उनके साइन होते हैं। यह लेटर सीधे विभाग को नहीं भेजे जाते हैं। यह संबंधित मंत्री को भेजा जाता है। वहां से इसका कन्फर्मेशन भी आता है। इसमें ऐसा कुछ नहीं हुआ। साथ ही लेटर में यह लिखा जाता है, कि नियम और प्रक्रिया के आधार पर ही किया जाए। आशंका है कि आरोपी ने सांसद के नाम से किसी को जारी अनुशंसा पत्र की कॉपी को स्कैन करने के बाद उसने साइन और लैटर हेड के बीच में मैटर बदल दिया होगा, हालांकि क्राइम ब्रांच का कहना है कि आरोपी के पकड़े जाने के बाद ही इसका खुलासा हो पाएगा कि यह लेटर कैसे बनाया गया। अफसरो के अनुसार क्राइम ब्रांच ने मामले की पडताल के लिये तीन टीमों को लगाया है। तीन टीमों से दो टीमें देवास और राजगढ़ के लिए रवाना की गई हैं।

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