मशरूम की खेती ने संजीव को बनाया करोड़पति

नई दिल्ली। आजकल कोई भी मशरूम के नाम से अछूता नहीं है। शहरों में तो इसकी काफी मांग है लेकिन यह बेहद ही महंगे दाम पर बिकता है, इसलिए इसे प्रतिदिन खाना हर किसी के बस की बात नहीं। गांव देहात में लोग इसे सांप के छत्ते का नाम दिया करते थे, लेकिन अधिक गुणकारी होने के कारण इसका महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसकी मांग को देखते हुए आज देश के कई किसान इसकी खेती करके करोड़ों कमा रहे हैं।
इन्हीं में शामिल हैं पंजाब के रहने वाले संजीव सिंह। इन्होंने साल 1992 में मशरूम की खेती करना शुरू किया और आज लगभग 2 करोड़ का सालाना टर्नओवर कमा रहे हैं। उन्होंने मात्र 25 वर्ष की उम्र में इसकी खेती शुरू की। ऐसा करने वाले वह अपने इलाके के पहले किसान थे।  उन्होंने दूरदर्शन चैनल पर चल रहे कृषि प्रोग्राम को देखा और मशरूम की खेती के बारे में जानकारी एकत्रित की, इसके बाद इसे शुरू किया।

कम जगह में उगा सकते हैं
संजीव की मानें तो अगर हमें मशरूम की खेती करनी है, तो इसके लिए अधिक स्थान की जरूरत नहीं है। वर्टिकल फार्मिंग द्वारा हम बहुत ही कम स्थान में मशरूम को उगा सकते हैं। इसकी खास बात यह है कि इसके लिए मिट्टी की कोई आवश्यकता नहीं होती, बल्कि हम इसे ऑर्गेनिक खाद द्वारा उगा सकते हैं।

शुरू में आईं काफी दिक्कतें
संजीव ने बताया कि आज देश विकसित हो चुका है, लेकिन पहले ऐसा कुछ नहीं था। शुरुआती दौर में मुझे बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्होंने एक कमरा बनवाया और मेटल की रेक पर मशरूम की खेती की शुरू की।  उन्होंने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से 1 वर्ष का कोर्स किया और मशरूम की खेती के विषय में बहुत सारी जानकारी इकट्ठा की। अपनी खेती के दौरान उन्हें सबसे बड़ी दिक्कत यह आ रही थी कि उन्हें मशरूम के बीज दिल्ली से मंगाने पड़ते थे।

आठ सालों की कड़ी मेहनत के बाद मिली सफलता
संजीव ने लगभग 8 वर्षों तक कड़ी मेहनत की, तब जाकर उन्हें सफलता हासिल हुई। वर्ष 2001 में संजीव को अपनी खेती में कामयाबी मिली, फिर उन्होंने वर्ष 2008 में स्वयं की प्रयोगशाला शुरू की और बीज बेचने भी शुरू किए। बहुत ही जल्द उन्होंने लगभग 2 एकड़ में मशरूम का उत्पादन और बीज का उत्पादन शुरू किया। इसके बाद उनके बीज जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश जैसे शहरों में बिकने के लिए जाने लगे। अब संजीव को अपनी खेती में करोड़ों का लाभ होता है। उन्हें सभी पंजाब का “मशरूम किंग” भी कहा जाता है।  वर्ष 2015 में उन्हें पंजाब सरकार ने पुरस्कार से भी सम्मानित किया है।

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