मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष ने जारी की 80 पदाधिकारियों की सूची,

एक तरफ जहां भाजपा अपने युवा मोर्चा को चुनावी रण के लिए तैयार कर रही है, वहीं दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ यूथ कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है। गुरुवार शाम को युवा कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष निखिल द्विवेदी ने एक सूची जारी की। इसमें 80 नेताओं में से 3 मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष बने हैं, 27 जिलों के लिए प्रभारी बनाए गए हैं और 50 के आसपास स्टेट कोऑर्डिनेटर हैं। लिस्ट के जारी होते ही नेताओं को बधाई मिलनी शुरू हो गई, मगर तभी नया बवाल खड़ा हो गया। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव ने कह दिया कि ये लिस्ट मान्य नहीं, इसे रद्द करते हैं। अब चर्चा यह है कि युवा कांग्रेस के दूसरे गुट ने अपने चहेतों को पदाधिकारी बनवाने के लिए ये लिस्ट कैंसिल करवाई है।

 

अनुशासन का पालन हुआ ही नहीं, बिना अनुमति जारी की गई लिस्ट
इन लिस्ट को खारिज करने वाले यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और छग प्रभारी संतोष कोलकुंडा ने दैनिक भास्कर को बताया कि मुझे सोशल मीडिया से जानकारी मिली कि यूथ कांग्रेस के मीडिया विभाग में पद बांटे गए हैं। इसका एक प्रोसेस होता है, एक अनुशासन होता है। ऐसे किसी भी पदों के लिए मुझे जानकारी दी जानी चाहिए। अनुमति के बाद की नियुक्ति होती है, मगर यहां ऐसा नहीं हुआ। हमने प्रदेश के नेताओं से कहा है कि प्रदेश में कोई भी नियुक्ति करने से पूर्व प्रदेश प्रभारी और प्रदेश नेतृत्व से अनुमति लेना अनिवार्य है।

 

निखिल द्विवेदी और अन्य कार्यकर्ता।

राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर दिए पद
मीडिया विभाग के प्रमुख निखिल द्विवेदी ने बताया कि राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देशानुसार पद दिए गए। गूगल फॉर्म के जरिए सभी कार्यकर्ताओं को पंजीयन कराने के बाद युवा कांग्रेस मीडिया विभाग के राष्ट्रीय प्रभारी राहुल राव जो कि 19 जुलाई को रायपुर आए थे उनसे मिलवाया गया। कार्यकर्ताओं का साक्षात्कार कराया गया इसके बाद ही नियुक्ति हुई। भावेश बघेल समेत 27 जिलों में अध्यक्ष बनाए गए और अन्य पदों पर जिम्मा सौंपा गया।

कोको पाढ़ी गुट ने किया खेल खराब
कोको पाढ़ी युवा कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हैं। यूथ कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि अपने चहेतों को पद ना मिलता देख ये विवाद जानबूझकर खड़ा किया गया है। पाढ़ी गुट के कार्यकर्ता पहले से ही कई अहम पदों पर हैं। निखिल द्विवेदी ने नजर अंदाज किए जा रहे कार्यकर्ताओं को पद दिए और बहस शुरू हो गई। अब इन सब के बीच सोशल मीडिया पर पदाधिकारी बनाए जाने की बधाई कबूल रहे कार्यकर्ता असमंजस में हैं।

 

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